जबलपुर। शहर के खरपतवार अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने खोजा गाजर घास को खाने वाला कीड़ा वैज्ञानिकों का दावा मैक्सिकन बीटल गाजर घास को खत्म करने का प्राकृतिक उपाय और यदि सही तरीके से इसका प्रचार प्रसार किया गया तो यह पूरे देश से गाजर घास की समस्या को खत्म कर सकता है. गाजर घास भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रही है, लोगों को बीमार कर रही है और पशुओं को इसकी वजह से चारा नहीं मिल पा रहा है.
1956 में पहली बार देखी थी गाजर घास:भारत में 1955 में गेहूं की भारी कमी हो गई थी और लोगों के पास खाने के लिए अनाज नहीं था, इसलिए भारत सरकार ने अमेरिका से लाल गेहूं बुलवाया था. 1956 में महाराष्ट्र के पुणे में इसी गेहूं के भीतर गाजर घास पहली बार देखी गई थी, लाल गेहूं के साथ आया हुआ यह मैक्सिकन वीड आज भारत की एक बड़ी समस्या बन गई है और पुणे से यह गाजर घास आज पूरे देश में फैल गई है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक रेलवे ट्रैक के किनारे, शहरी कॉलोनियों में, खुले मैदानों में, खेती वाले खेतों में, खेतों की मेड़ों पर जहां भी खाली जगह है, वहां यदि थोड़ी बहुत नमी है तो आपको गाजर घास देखने को मिल जाएगी.
बता दें कि गाजर घास को कांग्रेस घास, चटक चांदनी, गंधी बूटी के नाम से भी जानते हैं. दरअसल ये खरपतवार 1950 के दशक में भारत आई थी और उस समय कांग्रेस की सरकार थी, इस कारण इसे कांग्रेस घास और गंधी बूटी कहा जाता है.
गाजर घास का होता है सबसे तेज फैलाव:इस खरपतवार ने भारत को बहुत नुकसान पहुंचाया है, गाजर घास का वैज्ञानिक नाम पार्थीनियम हिसटोफोरस है और यह गाजर जैसी पत्तियों की दिखने वाली घास 4 तरीके से मानव समाज के लिए नुकसानदायक है. खेती के लिए नुकसान गाजर घास की वजह से किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि इसके एक पौधे से 5000 से 20000 तक पौधे बन सकते हैं और यह जिस खेत में फैलती है, वहां लगभग पूरी फसल बर्बाद कर देती है. इसकी जड़ों से एक ऐसा रसायन निकलता है, जो आसपास दूसरी फसल को उगने नहीं देता. वहीं साल में इसके 3 फसल चक्र होते हैं, इसलिए इसे तीनों फसलों में नुकसानदायक माना जाता है.
मनुष्य और पशु दोनों के लिए घातक है गाजर घास:चर्म रोग और विषैला पन गाजर घास में कुछ इस तरह के रसायन पाए जाते हैं, जिससे इसके संपर्क में आने वाला आदमी गंभीर चर्म रोगों का शिकार हो जाता है और कई लोगों को इसकी वजह से एलर्जी समस्याएं भी हो जाती हैं. पशुओं के लिए हानिकारक सामान्य तौर पर पशु गाजर घास को नहीं खाते, लेकिन यदि चारे की बिल्कुल समस्या हो जाए तब कुछ पशु इसे खा लेते हैं और इसकी वजह से उनका स्वास्थ्य खराब हो जाता है और दूध कड़वा और विषैला हो जाता है.
गाजर घास से बायोडायवर्सिटी पर खतरा:बायोडायवर्सिटी के लिए नुकसान गाजर घास का सबसे बड़ा नुकसान दूसरे प्राकृतिक पेड़ पौधों को होता है, क्योंकि यह इस तेजी से फैलती है कि उस इलाके के दूसरे प्राकृतिक पेड़ पौधों को खत्म कर देती है.