आगराः जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हुए आगरा के कैप्टन शुभम बेहद निडर और बुलंद हौसले वाले शख्स थे. आतंकियों से लोहा लेने की जिद में ही उन्होंने सेना की सिग्नल कोर छोड़कर पैरा कोर ज्वाइन की थी. वह सीक्रेट मिशन पर अपना फोन बंद रखते थे. उन्होंने सेना के कई ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. बसई पुलिस चौकी के पास ताजनगरी फेस वन निवासी डीसीजी बसंत गुप्ता के बड़े बेटे शुभम की वीरता की हर कोई चर्चा कर रहा है. उनकी मौत से पिता के साथ मां रो-रोकर बेहाल हैं. गुरुवार देर शाम तक शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता का पार्थिव शरीर आगरा आ सकता है. इसके साथ ही आज सीएम योगी का भी आने का कार्यक्रम हैं. वहीं, सीएम योगी ने शहीद के परिवार के लिए 50 लाख की आर्थिक सहायता व एक सदस्य को सरकारी देने की घोषणा की है.
दीपावली पर फोन पर घरवालों से कहा था, जल्दी आऊंगा...
दीपावली पर शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता ने वीडियो काॅल करके मां, पिता, भाई, चचेरे भाई, बहन और अन्य परिजनों से बात की थी. कहा था कि जल्द ही घर छुटटी पर आऊंगा. सबसे मिलूंगा. खूब बातें करूंगा. फिर, अगले सप्ताह छुटटी पर आने की बताई तो परिवार बेहद खुश था. इससे पहले ही बुधवार को परिवार की ख़ुशी को नजर लग गई जब कैप्टन शुभम गुप्ता की यूनिट से उनके शहीद होने की खबर आई है.
बेहद निडर और मिलनसार थे कैप्टन
डीसीजी बसंत कुमार गुप्ता ने बताया कि बेटा कैप्टन शुभम ने संटर जाॅर्जेस इंटर काॅलेज से 12 वीं की पढ़ाई की थी. वह पढ़ने में होशियार था. वह निडर था. देशभक्ति का जज्बा उसमें गजब का था. पहले ही प्रयास में शुभम का चयन 2015 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में हुआ था. सन 2017 में लेफ्टिनेंट बनें. इसके बाद सन 2018 में कमीशन मिला. उसे पहली पोस्टिंग ऊधमपुर में मिली थी. बेटा कैप्टन शुभम गुप्ता ने सेना के कई ऑपरेशन को अंजाम दिया था. परिचित मनोज गुप्ता ने बताया कि, बचपन से ही कैप्टन शुभम गुप्ता बेहद शांत स्वभाव का था. मिलनचार के साथ ही सबके साथ घुल मिलकर रहने का उनका स्वभाव था. जब भी घर छुटटी पर आते तो अपने सहपाठियों के साथ ही पुराने मित्रों से जरूर मिलते थे.
सिग्नल कोर छोड़कर पैरा ज्वाइन की थी
शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के छोटे भाई ऋषभ गुप्ता ने बताया कि भाई को सिग्नल कोर में कमीशन मिला था. भाई की ख्वाहिश दुश्मनों से लोहा लेने की थी इसलिए भाई कैप्टन शुभम गुप्ता ने बिना घर वालों को बताए ही सिग्नल कोर छोड़कर पैरा कोर ज्वाइन की थी. हमें तब पता चला जब वह कडी मेहनत और प्रशिक्षण लेकर नौ पैरा में पहुंच गए थे. आपको बता दें कि सेना की सिग्नल कोर सेना की संचार व्यवस्था को संभालती है. वहीं, पैरा कोर सीधे दुश्मनों से मोर्चा लेती है.
सीक्रेट मिशन पर फोन रखते थे बंद
भाई ऋषभ गुप्ता ने बताया कि जब भी कैप्टन भाई शुभम गुप्ता किसी सीक्रेट मिशन पर होते थे तो फोन बंद रखते थे. देश के प्रति शुभम का जज्बा ही ऐसा था कि हर वक्त वतन की चिंता रहती थी. चचेरे भाई नितिन बताते हैं कि, जब हम उन्हें काॅल करते तो वे जब भी मिशन पर जाने वाले होते तो कहते थे कि मुझे कॉल मत करो. अभी मैं व्यस्त हूं, जब भी मैं फ्री रहूंगा तो आपको कॉल करूंगा.
देश और सेना को लेकर था जुनून
शहीद कैप्टन शुभम के पिता बसंत कुमार गुप्ता ने बताया कि बचपन से ही बेटे शुभम को वर्दी पसंद थी. उसमें देश भक्ति की भावना थी. बेटे की शुरू से ही परिवार से अलग हटकर कुछ करने की तमन्ना थी. वह देश और सेना को लेकर बहुत जुनूनी था. सेना में भर्ती होने के बाद अक्सर भारतीय सेना की बहादुरी की चर्चा करता था. सेना के कई ऑपरेशन शुभम गुप्ता ने सफलतापूर्वक अंजाम दिए थे.