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कैपिटल बिल्डिंग हमला अमेरिका के पतन की शुरुआत : वरिष्ठ पत्रकार आदित्य सिन्हा

अमेरिकी संसद भवन कैपिटल बिल्डिंग पर हमले के बाद दुनियाभर में निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना हुई है. साथ ही इससे दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका को शर्मसार होना पड़ा है. जानकार इसे अमेरिका में लोकतंत्र का पतन बता रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार आदित्य सिन्हा का कहना है कि यह अंत नहीं है, बल्कि अमेरिका के पतन की शुरुआत है. ईटीवी भारत (चेन्नई) ब्यूरो चीफ एमसी राजन ने आदित्य सिन्हा से अमेरिका की घटना पर विशेष चर्चा की...

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कैपिटल बिल्डिंग हमला

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Published : Jan 9, 2021, 10:23 PM IST

Updated : Jan 10, 2021, 2:41 PM IST

हैदराबाद :लेखक और वरिष्ठ पत्रकार आदित्य सिन्हा का कहना है कि अमेरिकी संसद भवन कैपिटल बिल्डिंग पर हुए हमले ने दुनिया को हिला कर रख दिया है और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका का सिर शर्म से झुक गया है. यह अमेरिका के पतन और वैश्विक क्षेत्र में उसकी नैतिक हानि का संकेत है. लेकिन अभी यह शुरुआत है. अमेरिका अब खुद को लोकतंत्र का गौरव नहीं कह सकता है.

डीएनए, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस और डेक्कन क्रॉनिकल के पूर्व संपादक आदित्य सिन्हा अमेरिकी राजनीति एवं प्रशासन पर पैनी नजर रखते हैं. सिन्हा ने स्कूली शिक्षा और स्नातक की पढ़ाई अमेरिका से की है.

ईटीवी भारत (चेन्नई) ब्यूरो चीफ एमसी राजन के साथ अमेरिका में हुई हिंसा पर चर्चा करते हुए सिन्हा ने कहा कि विद्रोह का परिणाम आज या कल नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में दिखाई देगा. अमेरिका, 1945 के इंग्लैंड की तरह धूम्रकेतु चक्र में है. यह काफी चौंकाने वाला पल है. यह अंत नहीं है, बल्कि अमेरिका के पतन की शुरुआत है.

सिन्हा के विचार में, यह घटना संकेत देती है कि अमेरिकी राजनीति तेजी से आतंकित हो रही है. निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ रैली करने वाले कट्टरपंथी श्वेत प्रचारकों के कारण नफरत और नस्लीय विभाजन गहरा हो गया है. उनके लिए, ट्रंप की अराजक कार्यशैली और अहंकारी स्वभाव उनकी रुचि को और अधिक भयावह रूप से बढ़ावा देता है.

उनका का कहना है कि ट्रंप नशीले अहंकार के साथ सत्ता के भूखे हैं और वह अनैतिक हैं. यह उनके लिए पर्याप्त है कि वो राजनीतिज्ञ विरोधी हैं - जो तकनीकी मांगों को नकारते हैं, जो राजनीतिक मांगों का जवाब नहीं दे सकते हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि YouGov के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 45 प्रतिशत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक विद्रोह को सही मानते हुए उसका समर्थन कर रहे हैं.

सिन्हा ने यहां ट्रंप और हिटलर के बीच तुलना की, जिसने जर्मन संसद को जलाने के बाद उसका दोष कम्युनिस्टों पर डाल दिया था.

सिन्हा के अनुसार, सच्चाई यह है कि ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी को कमजोर किया है. ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, जैसे मिट रोमनी ( Mit Romney) को हाशिये पर ढकेल दिया है. इसके अलावा, वह अगले राष्ट्रपति चुनाव में फिर से उतरेंगे, जो पार्टी टिकट की आस में बैठे नेताओं की उम्मीदों को प्रभावित करेगा. दो साल में होने वाले अमेरिकी संसद के मध्यावधि चुनावों में, रिपब्लिकन पार्टी को विरोध का सामना करना पड़ सकता है.

ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के मुद्दे पर, सिन्हा का कहना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी और अन्य लोगों की ओर से इसकी आवाज उठ रही है, लेकिन इसकी संभावना नहीं दिखती है. भयभीत और टूटे हुए ट्ंरप पहले ही पीछे हट गए हैं. डेमोक्रेट्स इस पर अपनी राजनीतिक पूंजी नहीं लुटाएंगे. इसके बजाय राजनीतिक पूंजी को मजबूत करने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे.

पढ़ें- ट्रंप ने दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र को हंसी का पात्र बना दिया ?

इस बात से सहमति जताते हुए कि मीडिया खासतौर पर पक्षपातपूर्ण मीडिया जैसे फॉक्स न्यूज और सोशल मीडिया की विद्रोह में भूमिका थी, सिन्हा ने चेतावनी दी कि यह भारत के लिए भी एक सबक है.

हालांकि, उन्होंने इस बात पर असहमति जताई कि कैपिटल बिल्डिंग पर हमला बिना नेता की भीड़ द्वारा किया गया, क्योंकि निवर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप इसके नेता थे, जिनकी निगरानी में यह हमला हुआ.

Last Updated : Jan 10, 2021, 2:41 PM IST

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