हैदराबाद :लेखक और वरिष्ठ पत्रकार आदित्य सिन्हा का कहना है कि अमेरिकी संसद भवन कैपिटल बिल्डिंग पर हुए हमले ने दुनिया को हिला कर रख दिया है और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका का सिर शर्म से झुक गया है. यह अमेरिका के पतन और वैश्विक क्षेत्र में उसकी नैतिक हानि का संकेत है. लेकिन अभी यह शुरुआत है. अमेरिका अब खुद को लोकतंत्र का गौरव नहीं कह सकता है.
डीएनए, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस और डेक्कन क्रॉनिकल के पूर्व संपादक आदित्य सिन्हा अमेरिकी राजनीति एवं प्रशासन पर पैनी नजर रखते हैं. सिन्हा ने स्कूली शिक्षा और स्नातक की पढ़ाई अमेरिका से की है.
ईटीवी भारत (चेन्नई) ब्यूरो चीफ एमसी राजन के साथ अमेरिका में हुई हिंसा पर चर्चा करते हुए सिन्हा ने कहा कि विद्रोह का परिणाम आज या कल नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में दिखाई देगा. अमेरिका, 1945 के इंग्लैंड की तरह धूम्रकेतु चक्र में है. यह काफी चौंकाने वाला पल है. यह अंत नहीं है, बल्कि अमेरिका के पतन की शुरुआत है.
सिन्हा के विचार में, यह घटना संकेत देती है कि अमेरिकी राजनीति तेजी से आतंकित हो रही है. निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ रैली करने वाले कट्टरपंथी श्वेत प्रचारकों के कारण नफरत और नस्लीय विभाजन गहरा हो गया है. उनके लिए, ट्रंप की अराजक कार्यशैली और अहंकारी स्वभाव उनकी रुचि को और अधिक भयावह रूप से बढ़ावा देता है.
उनका का कहना है कि ट्रंप नशीले अहंकार के साथ सत्ता के भूखे हैं और वह अनैतिक हैं. यह उनके लिए पर्याप्त है कि वो राजनीतिज्ञ विरोधी हैं - जो तकनीकी मांगों को नकारते हैं, जो राजनीतिक मांगों का जवाब नहीं दे सकते हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि YouGov के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 45 प्रतिशत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक विद्रोह को सही मानते हुए उसका समर्थन कर रहे हैं.