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इधर कोरोना-उधर कैंसर...कहानी उस मरीज की जो कैंसर से उबरकर पहुंचा AIIMS - कैंसर से उबरकर

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते राजधानी दिल्ली में एम्स की फिजिकल ओपीडी 8 अप्रैल से बंद है. ऐसे में उपचाराधीन मरीज यहां इलाज करवाने आ रहे हैं. कैंसर से उभर चुके मेरठ के अमित सक्सेना भी एम्स अपना फॉलोअप चेकअप करवाने पहुंचे हैं. हमने उनसे बातचीत की और यह समझा कि कोरोना के खतरे के बीच एम्स आना कितना चुनौतीपूर्ण रहा.

राजधानी दिल्ली में एम्स की फिजिकल ओपीडी
राजधानी दिल्ली में एम्स की फिजिकल ओपीडी

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Published : Apr 14, 2021, 8:08 PM IST

नई दिल्ली :कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते देश भर के स्वास्थ्य तंत्र को गहरा झटका दिया है. अस्पतालों में मरीज खचाखच भरे हैं और उनके बोझ तले पूरा तंत्र कराह रहा है. राजधानी में कोरोना की दूसरी लहर के बाद सरकार ने कई सख्त फैसले लिए, जिसके तहत एम्स अस्पताल की फिजिकल ओपीडी को भी बीते 8 अप्रैल से बंद किया गया.

ओपीडी बंद होने के बाद फिलहाल एम्स में पहले से उपचाराधीन मरीज ही इलाज करवाने आ रहे हैं. इन मरीजों की संख्या भी इतनी अधिक है कि लंबी कतारें लगी हुई हैं. इन्हीं में से एक कतार में चौथे स्टेज के कैंसर से उबरे मेरठ के अमित सक्सेना भी खड़े हैं जो कोरोना की जंग के बीच एम्स के फॉलोअप मरीजों की कतार में कैंसर से जीत के मुहाने पर हैं.

कैंसर सर्वाइवर अमित सक्सेना

पिछले 3 वर्षों से एम्स में मुंह के कैंसर का इलाज करवा रहे अमित के लिए केवल फॉलोअप के लिए AIIMS जाने का निर्णय लेना आसान नहीं था क्योंकि वह कुछ समय पहले ही कैंसर के चौथे स्टेज से उबरे हैं.

हाल में अमित को AIIMS के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर कैंसर इंस्टीट्यूट में फॉलो अप के लिए बुलाया गया. हालांकि अमित ने कोरोना का टीका ले लिया है, लेकिन इसके बावजूद कोरोना का डर बरकरार है.

कोरोना का जोखिम उठाकर कैंसर की आखिरी लड़ाई के लिए पहुंचे AIIMS
3 साल पहले जब अमित को पता चला कि वह मुंह के कैंसर की चौथी स्टेज में है तो उनके लिए जीने की उम्मीद टूटना स्वभाविक था, लेकिन हिम्मत नहीं हारते हुए अमित ने एम्स के कुशल और विशेषज्ञ डॉक्टरों पर भरोसा जताते हुए एम्स में अपना इलाज शुरू करवाया.

आखिरकार लंबे इलाज के बाद अमित की मजबूत इच्छा शक्ति के आगे डॉक्टर की मेहनत रंग लाई और उन्होंने चमत्कारिक तरीके से कैंसर को मात दी. आज अमित कैंसर से पूरी तरह से उबर चुके हैं, लेकिन इलाज के क्रम में कीमोथेरेपी और रेडिएशन के दौरान उनके मुंह का स्लेवरी ग्लांड्स जल गया, जिसकी वजह से उनके मुंह में स्लाइवा बनना बंद हो गया है, लेकिन वह इस बात से संतुष्ट हैं कि उनकी जान कैंसर से बच गई.

चमत्कारिक तरीके से कैंसर को हराया

अमित बताते हैं कि आज वह खुश हैं कि वह कैंसर को मात देकर अपने परिवार के साथ जीवित हैं. अब वह अपना सारा काम कर सकते हैं. एम्स के बारे में अमित कहते हैं कि वह ऐसी जगह है जहां से मरते हुए आदमी को भी जिंदा बचाया जा सकता है.

हिम्मत, हौसले और मजबूत इच्छाशक्ति से कैंसर को हराना संभव

कैंसर से जूझने के दिनों को याद करते हुए वह अन्य मरीजों को संदेश देते हैं कि अगर कोई भी कैंसर से पीड़ित है तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है. आप अपने डर पर काबू रखें और हौसला बनाए रखें. आपका कैंसर चाहे किसी भी स्टेज में क्यों न हो हिम्मत नहीं हारें और अपने डॉक्टर पर पूरा विश्वास रखें. वह कहते हैं कि मजबूत इच्छाशक्ति से कैंसर को हराया जा सकता है.

भारत में 27 फीसदी कैंसर तंबाकू जनित
बता दें कि नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, भारत ने पिछले 4 साल के अंदर कैंसर मरीजों की संख्या में लगभग 10% की बढ़ोतरी हुई है. इस समय देश में कैंसर के 13.9 लाख मामले हैं.

यह आंकड़ा 2025 तक 15.7 लाख तक पहुंच सकता है. यह अनुमान 2012 और 2016 के बीच हुए डाटा कलेक्शन पर आधारित है. सारी जनसंख्या आधारित 28 कैंसर रजिस्ट्री और कैंसर के 58 अस्पतालों से जुटाई गई है.

वहीं, भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इनफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक मुंह के कैंसर के 90 हजार मामले सामने आ सकते हैं.

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भारत में कैंसर के कुल मामलों का करीब 27 फ़ीसदी तंबाकू जनित होने की संभावना जताई गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार 2020 में कुल मामलों में 27.1 फ़ीसदी मामले लगभग 3.7100000 तंबाकू से संबंधित कैंसर के हैं.

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