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मदुरै उच्च न्यायालय ने पंजीकृत विवाह रद्द करने का दिया आदेश

मदुरै उच्च न्यायालय ने उस शादी का पंजीकरण रद्द करने का आदेश दिया है जिसमें दुल्हन को डराने-धमकाने का आरोप लगाया गया था. न्यायाधीशों ने कहा कि इस्लामी विवाह नियमों का पालन नहीं किया गया.

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Published : Oct 22, 2022, 10:43 AM IST

मदुरै: तिरुनेलवेली जिले के मेलापालयम की एक महिला ने मदुरै उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ का दरवाजा खटखटाकर अपना विवाह पंजीकरण रद्द करने की मांग की थी. इसमें महिला ने आरोप लगाया कि उसके एक रिश्तेदार ने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान जबरन उसकी शादी करा दी. अपनी याचिका में लड़की ने शिकायत की कि उसे कक्षा से यह कहते हुए ले जाया गया कि उसकी माँ अस्पताल में अस्वस्थ है, लेकिन उसे रजिस्ट्रार के कार्यालय में ले जाया गया.

उसने कहा है कि शादी उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी देकर की गई और शादी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर जबरन दस्तखत किए गए. याचिकाकर्ता ने कहा था कि उनकी मर्जी के खिलाफ धमकी और जबरदस्ती से किया गया विवाह पंजीकरण रद्द किया जाना चाहिए। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस विजयकुमार की ओर से जारी आदेश में कहा कि तमिलनाडु मैरिज रजिस्ट्रेशन एक्ट के मुताबिक मुस्लिम जोड़े के आवेदन में जमात का नाम और उसका पता जरूर शामिल होना चाहिए.

साथ ही, आवेदन में दो जोड़ों के बीच सगाई के दस्तावेज होने चाहिए. यदि इन सभी का ठीक से पालन किया जाए तो विवाह का पंजीकरण कराया जा सकता है. किसी भी धर्म को मानने वाले लोग अपने धर्म के अनुसार शादी के बाद डीड रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. संबंधित धर्म के लिए विवाह प्रक्रियाओं का पालन किए बिना विवाह को सीधे रजिस्ट्री विभाग में पंजीकृत नहीं किया जा सकता है. जहां तक मुसलमानों की बात है तो वे जमात विशेष से अनुमति लेकर अपने नियम के अनुसार शादी कर सकते हैं और उसके बाद ही पंजीकरण करा सकते हैं.

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क्या शादी करने वाले जोड़े पंजीकृत होने के लिए अपने संबंधित धर्मों के कानूनी कार्यक्रमों का पालन करते हैं? पंजीकरण विभाग के अधिकारी इसकी ठीक से जांच करें. जहां तक इस मामले का संबंध है, इस्लामी कानूनी मानदंडों का पालन करते हुए शादी नहीं की गई थी. अतः विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र निरस्त किया जाता है. उन्होंने सहायक दस्तावेजों सहित सभी दस्तावेजों से शादी के रिकॉर्ड को हटाने का आदेश देकर मामले को भी बंद कर दिया.

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