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आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के नापाक इरादे, भारत से खालिस्तान राज्य की मांग

सिखों (Sikhs) के लिए भारत से अलग एक नए राज्य खालिस्तान (Khalistan) की मांग लंबे समय से चली आ रही है. अब सिख आंतकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (Sikh for Justice) ने इस बंटवारे के समर्थन में लोगों से जनमत संग्रह किया है.

खालिस्तान की मांग
खालिस्तान की मांग

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Published : Sep 28, 2022, 7:23 PM IST

हैदराबाद: भारत को विभाजित कर एक नया देश खालिस्तान (Khalistan) बनाने के आंदोलन की शुरुआत करीब 93 साल पहले ही हो चुकी है. अब एक बार फिर वही चिंगारी कनाडा में देखने को मिली है. भारत का बंटवारा कर खालिस्तान बनाने के समर्थक एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं और नई साजिश बनाने पर जोर दे रहे हैं. खालिस्तान बनाने की सबसे बड़ी समर्थक और आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (Sikh for Justice) यानी एसएफजे दुनिया के कई देशों में जनमत संग्रह (Referendum) कर रही है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीती 18 सितंबर को कनाडा में इसी संस्था द्वारा एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया.

बताया जा रहा है कि इस जनमत संग्रह में करीब 10 से 12 हजार लोग शामिल (canada sikhs votes khalistan referendum) हुए थे. यहां लोगों से पूछा गया कि 'क्या आप भारत से अलग अपना एक नया देश खालिस्तान चाहते हैं?' वहीं दूसरी ओर भारतीय दूतावास ने इस जनमत के खिलाफ कनाडा के विदेश मंत्रालय में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन कनाडा के विदेश मंत्रालय ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है, क्योंकि मंत्रालय का कहना है कि यह लोगों को विचार रखने की आजादी का अधिकार है. जिसके चलते मंत्रालय ने इस जनमत संग्रह कार्यक्रम पर रोक भी नहीं लगाई है.

हालांकि इस कार्यक्रम के बाद भारत सरकार ने कनाडा में रह रहे भारतीय को सतर्कता बरतने के लिए कहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें खालिस्तान आंदोलन शुरुआत 1929 में हो गई थी. साल 1929 में कांग्रेस के लाहौर सेशन में मोतीलाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा था. जिसे लेकर तीन समूहों ने उनके इस प्रस्ताव का विरोध किया था, जिनमें पहला समूह मोहम्मद अली जिन्ना की अगुआई में मुस्लिम लीग था. दूसरा समूह भीमराव अंबेडकर की अगुवाई में दलितों का था.

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वहीं तीसरा समूह गुट मास्टर तारा सिंह की अगुआई में शिरोमणि अकाली दल का था. यह पहली बार था, जब तारा सिंह ने सिखों के लिए एक अलग राज्य बनाने की मांग रखी थी. साल 1947 में भारत की आजादी के बाद अलग राज्य की यह मांग आंदोलन में बदल गई. शिरोमणि अकाली दल भारत में एक अलग सिख प्रदेश की मांग कर रहा था, लेकिन भारत की आजादी के बाद बने राज्य पुनर्गठन आयोग ने उनकी यह मांग मानने से इनकार कर दिया.

जिसका नतीजा यह हुआ कि पंजाब में 19 साल तक अलग सिख राज्य के लिए आंदोलन और प्रदर्शन होते रहे और इस दौरान लगातार हिंसा की घटनाएं होती रहीं. साल 1966 में इंदिरा गांधी सरकार ने पंजाब को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला किया, जिसमें सिखों के लिए पंजाब, हिंदी बोलने वालों के लिए हरियाणा और तीसरा हिस्सा चंडीगढ़ था, जिसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. लेकिन इसके बाद भी बहुत से लोग इस फैसले से खुश नहीं थे. 1979 में जगजीत सिंह ने भारत से लंदन जाकर खालिस्तान का प्रस्ताव रखा, जिसके लिए उन्होंने एक नक्शा भी पेश किया.

दुनिया भर में हंगामा तो तब मच गया जब जगजीत सिंह ने ब्रिटेन जाकर खालिस्तानी करंसी भी पेश कर दी. इसी के बाद साल 1980 में भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया और उन्हें भगोड़ा करार दे दिया. खालिस्‍तान देश बनाने मांग करने वाले आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने कनाडा के ओंटारियो शहर में रेफरेंडम कराया है.

इस सिख आतंकवादी संगठन का दावा है कि इस आयोजन में 1,10,000 सिखों ने हिस्सा लिया है. संगठन ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला को 'खालिस्‍तान' देश की राजधानी बनाया जाएगा. संगठन के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्‍नून ने यह ऐलान भी किया है कि 26 जनवरी 2023 को भारत के 74वें गणतंत्र दिवस पर पंजाब में खालिस्‍तान के समर्थन में रेफरेंडम शुरू होगा.

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