नई दिल्ली : कनाडा की संसद में जो कुछ हुआ, उसने फिर से प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को एक्सपोज कर दिया. संसद में 98 साल के उस शख्स को सम्मानित किया गया, जिसने रूस के खिलाफ विश्व युद्ध में भाग लिया था. उस सैनिका का नाम यारोस्लाव हुंका है. इस घटना के बाद हाउस के स्पीकर को माफी मांगनी पड़ी. भाजपा के वरिष्ठ नेता जयंत पांडा ने ट्रूडो की आलोचना की.
इस सैनिक के सम्मान से पहले इसी संसद में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का भाषण हुआ था. कनाडा के स्पीकर ने हुंका को युद्ध का हीरो बताया. आपको बता दें कि विश्व युद्ध के दौरान हुंका हिटलर की सेना में शामिल थे. ट्रूडो ने इस सैनिक के सम्मान में संसद में ताली बजाई थी.
इस घटना को लेकर जब कनाडा के संसद की आलोचना हुई, ट्रूडो की आलोचना हुई और स्पीकर पर निशाना साधा गया, तब स्पीकर ने दुख व्यक्ति किया. स्पीकर रोटा ने कहा कि हां, उस सैनिक को सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए था, इसलिए मैं माफी मांगता हूं.
स्पीकर ने कहा कि मैं दुनियाभर के यहूदियों से माफी मांगता हूं, क्योंकि मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह नाजियों की सेना में योगदान दे चुके हैं.
इस बीच खालिस्तानी आतंकियों के कट्टर समर्थक बन चुके ट्रूडो खूब ताली बजा रहे थे. उनकी इस हरकत पर वहां के विपक्षी नेता पिएरे पोलिविएरे ने ट्रूडो को खूब खरी-खोटी सुनाई. जब पूरे देश और दुनिया भर में ट्रूडो की फजीहत हुई, तब उनकी ओर से बयान जारी कर बताया गया कि ऐसा नहीं होना चाहिए था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हुंका जिस डिविजन में शामिल थे, वह डिविजन निर्दोष लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार थी.
ट्रूडो की आलोचना यहूदियों ने भी की है. कनाडा में रहने वाले यहूदियों ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि कनाडा इस तरह के लोगों का समर्थन कर सकता है, ट्रूडो को इस पर रोक लगानी चाहिए थी. आपको बता दें कि हिटलर 1933 से जर्मनी की सत्ता पर काबिज हुआ था. 1945 तक उसने लाखों यहूदियों की हत्या करवा दी थी. उनका सामाजिक बॉयकॉट किया था.
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