पटना:नेपाल और भारत के कई हिस्सों में शुक्रवार देर रात तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस दौरान बिहार में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. दरअसल, बिहार हाई सिजमिक जोन में स्थित है. जिन जगहों पर भूकंप आने की संभावना होती है उन्हें भूकंपीय क्षेत्र या Seismic Zones कहते हैं.
बड़े भूकंप की आहट तो नहीं: भूकंप के हर पहलुओं पर जानकारी लेने के लिए ETV BHARAT पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज के भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर अतुल आदित्य पाण्डेय के पास पहुंची, जिन्होने विस्तार से बताया कि भूकंप होता क्या है? इसकी भविष्यवाणी क्यों नही की जाती है? बिहार में भूकंप का खतरा है या नहीं?
सवाल - क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है?
जवाब:जियोलॉजी डिपार्मेंट के प्रोफेसर अतुल आदित्य पांडेय बताते हैं कि भूकंप का जो अपना विज्ञान है और जो भूकंप से संबंधित शोध हो रहे हैं, उसमें बहुत तरह की जानकारी एकत्रित की जा रही है. जहां तक भूकंप के भविष्यवाणी का सवाल है कि भूकंप किस दिन आएगा, किस समय आएगा, कैसे आएगा, अभी तक विज्ञान में इस तरह की भविष्यवाणी नहीं की जा सकी है.
'भूकंप के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है बिहार': पृथ्वी की संरचना के अनुसार पृथ्वी पर कई ऐसे क्षेत्र हैं इलाके हैं जो भूकंप की दृष्टिकोण से संवेदनशील हैं. जैसे हिमालय के जो इलाके हैं वो संवेदनशील हैं. यदि, हम बिहार की बात करें तो, नेपाल के साथ सटा हुआ है. हिमालय से नजदीक है, इसकी संरचना कुछ ऐसी है जो भूकंप संवेदनशील इलाका है.
सवाल - भूकंप क्यों और कैसे आता है?
जवाब:पृथ्वी कई अलग-अलग परतों में बनी हुई है. उसके सबसे ऊपरी परत को क्रेस्ट बोलते हैं. वह कई छोटे और बड़े टुकड़ों में बटी हुई है. जब यह टुकड़े कई बार एक दूसरे के साथ मिलते हैं तो कोलाइजन होती है और इस क्रम में दबाव और फोर्स लगते हैं. घर्षण से बड़े-बड़े चट्टान टूटते हैं और टूटने से जो ऊर्जा प्रवाहित होती है. वह भूकंप की तरंगों के माध्यम से एक इलाके से दूसरे इलाके में विस्थापित होती है.
सवाल- भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?
जवाब-भूकंप का एक अपना विज्ञान है, जिसे हम समसियोलॉजी बोलते हैं. इसमें कई तरह की विशेषताएं आ गई हैं. कई तरह के विकास हुए हैं. भूकंप मापने के जो उपकरण हैं उसे हम लोग सिमसियोग्राफ कहते हैं. निजी तौर पर या फिर सरकारी संस्थाओं की तरफ से भी कई इलाकों में यह उपकरण लगाए गए हैं.
यहां लगाए गए हैं भूकंप मापी यंत्र: भारतीय मौसम विभाग के तरफ से उनके द्वारा यह स्थापित केंद्र कई जगह पर लगाए गए हैं. उन केंद्रों में भूकंप मापी यंत्र हैं. जब जमीन में हलचल होती है तो उस यंत्र से उस वाइब्रेशन को रिकॉर्ड किया जाता है और जैसा आप सभी जानते हैं कि भूकंप के तरंगों को हम प्राइमरी वेब, सेकेंडरी वेब, लव वेब जैसे कई तरह के वेव्स बताते हैं.
ऐसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता:उन तरंगों का यह सिमसियोग्राफ विश्लेषण करता है. विश्लेषण के बाद उसकी प्रक्रिया है, जिसमें हम तरंगों के पहुंचने का समय, उसकी गति और उसके फोर्सेज आदि आकलन के मुताबिक हम बताते हैं भूकंप की तीव्रता कितनी थी. जहां भूकंप आता है उस जगह से और उसके आसपास के इलाके कितने प्रभावित हुए हैं, उसे हम इंसेंटिसिटी माध्यम से मापते हैं.
सवाल- भूकंप को लेकर बिहार कितना संवेदनशील है?
जवाब:बिहार भूकंप के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है. यह नेपाल से सटा हुआ है. नेपाल से सटे होने का मतलब यह हिमालय के साथ यह जुड़ा हुआ है. पृथ्वी के अंदर के सतह के बीच टक्कर होती है. उस टक्कर के कारण हिमालय में जो अपभ्रंश हैं, फॉल्ट है उस फॉल्ट के कारण भूकंप होता है.