कोलकाता : पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आपराधिक मामलों की जांच में देरी पर कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने गंभीर संज्ञान लेते हुए ऐसे सभी मामलों की जानकारी मांगी है जिनमें कानून के तहत तय समयसीमा में आरोपपत्र दाखिल नहीं किए गए.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (Acting Chief Justice) जस्टिस राजेश बिंदल (Justice Rajesh Bindal) और जस्टिस अरिजीत बनर्जी (Justice Arijit Banerjee) की पीठ ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया. साथ ही निर्देश दिया कि आरोपपत्र दाखिल करने में देरी की वजहों के साथ उन अधिकारियों की विस्तृत जानकारी दी जाए जो इन मामलों से संबंधित फाइलों को दबाकर बैठे हैं और अदालत में अभियोग दाखिल करने के लिए अनुमति नहीं दे रहे हैं.
पीठ ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि इस अदालत के रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General) को निर्देश दिया जाता है कि पश्चिम बंगाल के सभी अदालतों से ऐसे मामलों की सूचना एकत्र करें जिसमें कानून के तहत तय समयसीमा में आरोपपत्र दाखिल नहीं किए गए हैं.
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