दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

न्यायाधीशों से उपदेश देने की अपेक्षा नहीं की जाती: सुप्रीम कोर्ट - Calcutta High Court

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के द्वारा किशोरियों को यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की सलाह दिए जाने की आलोचना की है. मामले में कोर्ट में 4 जनवरी को अगली सुनवाई होगी. Supreme Court,Calcutta High Court

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By PTI

Published : Dec 8, 2023, 3:28 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले की शुक्रवार को कड़ी आलोचना की, जिसमें किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की सलाह दी गई थी. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय की इन टिप्पणियों को आपत्तिजनक और गैर-जरूरी बताया.

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि ये टिप्पणियां संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त किशोरों के अधिकारों का पूरी तरह से उल्लंघन हैं. पीठ ने मामले में पश्चिम बंगाल सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी करते हुए कहा, 'हमारा प्रथम दृष्टया यह मानना है कि न्यायाधीशों से व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने या उपदेश देने की अपेक्षा नहीं की जाती.' शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपनी सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान को न्याय मित्र नियुक्त किया. न्यायालय ने न्याय मित्र की सहायता के लिए अधिवक्ता लिज मैथ्यू को अधिकृत किया है. साथ ही मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी 2024 को निर्धारित की है. हाई कोर्ट के फैसले के एक पैराग्राफ में कहा गया है कि अपने शरीर की अखंडता के अधिकार की रक्षा करना प्रत्येक महिला किशोरी का कर्तव्य/दायित्व है. उसकी गरिमा और आत्मसम्मान की रक्षा करें. शीर्ष अदालत ने इस पैराग्राफ पर आपत्ति जताई.

शीर्ष अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर, 2023 के उस फैसले का स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें टिप्पणी की गई थी कि किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और दो मिनट के सुख के लिए खुद को समर्पित नहीं करना चाहिए.

ये भी पढ़ें - अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 दिसंबर को फैसला

ABOUT THE AUTHOR

...view details