नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को 2021-22 के नए विपणन सत्र के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी (एफआरपी) मूल्य पांच रुपये बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. हालांकि, सरकार ने चीनी के बिक्री मूल्य में तत्काल बढ़ोतरी से इनकार किया है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बुधवार को हुई बैठक में 2021-22 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य बढ़ाने का फैसला किया गया.
चालू विपणन वर्ष 2020-21 के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य 285 रुपये प्रति क्विंटल है.
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि 10 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर पर एफआरपी को बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत से ऊपर प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि पर 2.90 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम उपलब्ध कराया जाएगा. वहीं रिकवरी में प्रति 0.1 प्रतिशत की कमी पर एफआरपी में 2.90 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती होगी.
गोयल ने कहा कि किसानों के संरक्षण के लिए सरकार ने फैसला किया है कि रिकवरी 9.5 प्रतिशत से नीचे होने पर कोई कटौती नहीं की जाएगी. मंत्री ने कहा, ऐसे गन्ना किसानों को चालू गन्ना सत्र 2020-21 के 270.75 रुपये प्रति क्विंटल के बजाय 2021-22 के गन्ना सत्र में 275.50 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा.
उन्होंने कहा कि चीनी सत्र 2021-22 के लिए गन्ने की उत्पादन लागत 155 रुपये प्रति क्विंटल है. 10 प्रतिशत की रिकवरी दर के हिसाब से 290 रुपये प्रति क्विंटल का भाव उत्पादन लागत पर 87 प्रतिशत ऊंचा है. गोयल ने कहा कि अन्य फसलों की तुलना में गन्ने की खेती अधिक फायदेमंद है.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार एफआरपी में बढ़ोतरी के मद्देनजर चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) बढ़ाएगी, गोयल ने कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है.
उन्होंने कहा कि सरकार चीनी का निर्यात बढ़ाने तथा एथनॉल के उत्पादन के लिए काफी समर्थन दे रही है. इन सब कारणों के मद्देनजर हमें नहीं लगता कि फिलहाल चीनी का बिक्री मूल्य बढ़ाने की जरूरत है. गोयल ने कहा कि घरेलू बाजार में चीनी कीमतें स्थिर हैं.