नई दिल्ली :नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर जो बयान दिया, उससे पक्ष और विपक्ष दोनों हैरत में हैं. इस बयान का विश्लेषण कई नजरिये से किया जा रहा है. एक वर्ग का मानना है कि आरएसएस प्रमुख ने ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर अब बढ़ते विवाद को सुलह-सफाई से निपटाने पर जोर दिया है. बता दें कि आरएसएस के कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि हिंदुओं का काशी विश्वनाथ मंदिर के अस्तित्व में विश्वास है मगर इतिहास को बदला नहीं जा सकता. इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा. हर मस्जिद में शिवलिंग देखना नासमझी है. संघ प्रमुख ने ज्ञानवापी मसले को साथ मिल-बैठकर सुलझाने या फिर उस पर अदालत के फ़ैसले को मानने की सलाह दी थी. उन्होंने काशी-मथुरा को लेकर किसी आंदोलन से इनकार किया था. उनके बयान का साधु-संतों के एक वर्ग ने जोरदार विरोध किया.
क्या है ज्ञानवापी का विवाद :वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का विवाद चल रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद को मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया है. औरंगजेब के आदेश से मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को नष्ट कर दिया गया था. हाल ही में सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि शिवलिंग वास्तव में एक फव्वारा है और मस्जिद वास्तव में औरंगजेब से पहले की है.