नई दिल्ली : देश के 14 राज्यों में 29 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित होने के बाद राजनीतिक पार्टियों में जीत का श्रेय और हार के मुद्दे बताने की होड़ लग गई. वहीं, राजनीतिक पार्टियों से अलग कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे भाजपा के लिए एक चेतावनी करार दिया.
हालांकि आंकड़े देखें तो उपचुनाव के नतीजों में मिला-जुला असर दिखाई देता है और साफ तौर पर केवल किसान आंदोलन के कारण भाजपा और उसके घटक दलों को नुकसान हुआ ऐसा नहीं कहा जा सकता है.
हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में जरूर भाजपा को निराश होना पड़ा है. हालांकि हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पहले भी इनेलो के पास ही थी और अभय चौटाला ही यहां से विधायक थे. कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों के समर्थन में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. जब दोबारा अपनी सीट से चुनाव लड़े तो पिछले चुनाव की तुलना में उनका वोट बढ़ने की बजाय घट गया लेकिन अभय चौटाला जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं. ऐसे में हरियाणा की सीट पर किसान आंदोलन का कोई खास असर नहीं दिखता.
हिमाचल प्रदेश के नतीजे भाजपा के लिए एक बड़ी चिंता का सबब हो सकते हैं, क्योंकि यहां तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजों में सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा. भाजपा शासित राज्य में भाजपा के लिए यह बड़ी हार है. कांग्रेस पार्टी ने इसे मौजूदा सरकार के खिलाफ जनादेश बताया तो वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे किसानों में असंतोष के कारण भाजपा को चेतावनी बताया है.
किसान मोर्चा का दावा रहा है कि तेलंगाना से उन्हें किसान संगठनों का व्यापक समर्थन है और वहां के किसानों में मोदी सरकार के प्रति भारी असंतोष है. हालांकि तेलंगाना की हुजूराबाद सीट पर हुए उपचुनाव की गिनती में भाजपा के उम्मीदवार आगे चल रहे थे. उनकी जीत लगभग सुनिश्चित बताई जा रही है. आंध्र प्रदेश में बड़वेल विधानसभा सीट पर वाईएसआर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा और पार्टी 90 हजार के बड़े मार्जिन से जीती.
मध्य प्रदेश में सभी सीटों पर भाजपा की जीत