उत्तरकाशी :देवभूमि की संस्कृति और विरासत अपने आप में अनूठी है. जिसकी झलक यहां के लोक पर्वों पर अक्सर देखने को मिल जाती है. उत्तराखंड में कोई देव पूजा हो या त्योहार, उसे हमेशा प्रकृति से जोड़कर मनाया जाता है.
ऐसा ही एक त्योहार उत्तरकाशी के ऊंचाई वाले गांव के बुग्यालों में मनाया जाता है. जहां दूध, दही, मक्खन की होली के साथ अंढूड़ी त्योहार मनाया जाता है. जिसे 11 हजार फीट की ऊंचाई दयारा बुग्याल में धूमधाम से मनाया गया.
जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल मनाया. दयारा बुग्याल में मनाया जाने वाला ये त्योहार काफी खास है. जिसको अंढूड़ी त्योहार कहा जाता है, जिसमें ग्रामीण बुग्यालों में एक विशेष दिन निकालकर अपने आराध्य देव को दूध, दही चढ़ाकर लोकनृत्य करते हैं. साथ ही एक-दूसरे पर मक्खन और दही लगाकर होली खेलते हैं.
इस त्योहार को ग्रामीण दशकों से मनाते हैं. दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल के सदस्य बताते हैं कि सावन माह में पहाड़ों में ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ बुग्यालों में छानियों में आ जाते हैं. करीब एक माह यहां पर रहने के बाद जब ऊंचे बुग्यालों में ठंड शुरू हो जाती है. ग्रामीण अपने गांव की ओर लौटने लगते हैं.
इससे पूर्व दयारा बुग्याल में भाद्रपद की संक्रांति को ग्रामीणों अपने ईष्ट देवी देवताओं और वन देवताओं को सावन में मवेशियों से हुए दूध, दही और मक्खन का भोग लगाते हैं. इसे स्थानीय भाषा मे अंढूड़ी त्योहार कहा जाता है. समय के साथ दयारा बुग्याल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस पर्व को बटर फेस्टिवल का नाम दिया गया है.