बेंगलुरु : कर्नाटक के कांग्रेस नेताओं ने एक व्यापारी की कथित आत्महत्या के सिलसिले में प्राथमिकी में नामजद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अरविंद लिंबावली और पांच अन्य की गिरफ्तारी की मंगलवार को मांग की. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार से उनके (व्यापारी के) परिवार के लिए इंसाफ सुनिश्चित करने की अपील की.
विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया और प्रदेश के पार्टी मामलों के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामलिंगा रेड्डी के साथ व्यापारी प्रदीप (Businessman Pradeeps Death) के घर जाकर उनके परिवार से भेंट की.
सुरजेवाला ने कहा कि मृतक प्रदीप का परिवार सदमे में है. सुरजेवाला ने कहा, हम यहां उनके परिवार का दुख बांटने आए हैं. राज्य में सत्ताधारी बीजेपी की 40 फीसदी कमीशन प्रथा लोगों की जान ले रही है. संतोष पाटिल, प्रदीप प्रसाद की मौत के लिए भ्रष्टाचार सीधे तौर पर जिम्मेदार है, इन्होंने कर्नाटक में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. यह आत्महत्या का मामला नहीं है. यह हत्या है, संतोष पाटिल बीजेपी नेता थे, उन्हें भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था.
प्रदीप (47) रविवार को बेंगलुरु के समीप नेट्टिगेरे में अपनी कार में मृत पाए गए थे. उन्होंने अपनी कार के अंदर कथित रुप से खुद को गोली मार ली थी. उन्होंने कथित रूप से आठ पन्ने का मृत्यु नोट लिखकर छोड़ा था जिसमें महादेवपुरा के विधायक अरविंद लिंबावली और पांच अन्य के नाम थे. उसके बाद पुलिस ने इन सभी छह व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी.
सिद्धरमैया ने कहा, 'यह वित्तीय सौदे से जुड़ी एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, यह नहीं होनी चाहिए थी. प्रदीप की पत्नी नमिता ने दुख के साथ कहा कि उनके पति को इंसाफ मिलना चाहिए और यह कि उन्होंने वित्तीय सौदे में डेढ़ करोड़ रुपये लगाए थे जिसमें से अबतक एक भी पैसे का मुनाफा नहीं हुआ. परिवार वह पैसा वापस चाहता है.'
परिवार से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि बताया जाता है कि क्षेत्र के विधायक लिंबावली ने चीजों की लीपापोती करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, 'नमिता किसी पर आरोप नहीं लगा रही है, वह बस इतना कह रही है कि वह इंसाफ चाहती है और वह किसी से नाराज नहीं है. लेकिन निष्कर्ष निकाला गया तो मृत्यु नोट में छह लोगों का जिक्र है और उसमें लिंबावली का भी नाम है. यदि उनका नाम लिया गया है , तो वह किसी न किसी रूप में इस मौत के लिए जिम्मेदार हैं, अन्यथा वह (व्यापारी) ऐसा क्यों लिखते.'