नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को जापान द्वारा वित्त पोषित मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना (Japan-funded Bullet train project) से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि किसी भी कंपनी और यहां तक कि भारत सरकार को भी इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोन डीड समेत समझौते के किसी भी नियम और शर्तों से अलग होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मोंटेकार्लो लिमिटेड नामक कंपनी के पक्ष में दिए गए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को भी रद्द कर दिया.
बुलेट ट्रेन से संबंधित कई कार्यों के लिए मोंटेकार्लो के टेक्नीकल बिड को जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी (Japan International Cooperation Agency - JICA) द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा रद्द कर दिया गया था. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ इस सवाल पर विचार कर रही थी कि क्या इस मामले में और ऐसी विदेशी वित्त पोषित परियोजना के संबंध में बिना किसी विशिष्ट दुर्भावना या पक्षपात के आरोप में हाई कोर्ट का निविदा प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना उचित था.
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