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मध्य प्रदेश : किसानों की खड़ी फसल पर चला बुलडोजर - Adani-group-in-Chhindwara by farmers

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में चौरई के 4 गांव की करीब 750 हेक्टेयर जमीन का 1988 में अधिग्रहण किया गया था. सरकार ने इस जमीन को पेंच नदी पर थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करने के लिए अधिग्रहित किया था. 2011 में इस जमीन को थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए अडानी ग्रुप को दे दिया था.

जमीन की मांग करते किसान
जमीन की मांग करते किसान

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Published : Jul 23, 2021, 9:21 PM IST

छिंदवाड़ा :सरकार ने करीब 33 साल पहले छिंदवाड़ा के 4 गांव से 750 हेक्टेयर जमीन पेंच थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए अधिग्रहित की थी. बाद में उस जमीन को प्लांट बनाने के लिए अडानी ग्रुप के हवाले कर दिया गया था.

कंपनी ने वादा किया था कि जिस-जिस की जमीन अधिग्रहित की गई है. उस परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी. 10 साल बाद भी जब मौके पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो नौकरी की आस लगाए बैठे परिवारों ने जमीन वापस करने की मांग करते हुए जमीन पर खेती शुरू कर दी. प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए किसानों की फसलों पर बुलडोजर चला दिया है.

सुनिए किसानों ने क्या कहा

33 साल पहले सरकार ने किया था अधिग्रहण

चौरई के 4 गांव की करीब 750 हेक्टेयर जमीन का 1988 में अधिग्रहण किया गया था. सरकार ने इस जमीन को पेंच नदी पर थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करने के लिए अधिग्रहित किया था. 2011 में इस जमीन को थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए अडानी ग्रुप को दे दिया था. उस समय इस जमीन को अडानी ग्रुप को देने का विरोध हुआ था. विरोध शांत करने के लिए अडानी ग्रुप ने वादा किया था, जिस-जिस परिवार की जमीन अधिग्रहित की गई है. उस परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी.

750 हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसल पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया

दस साल से चार गांवों के लोग इस उम्मीद में बैठे हैं कि इस जमीन पर अडानी ग्रुप थर्मल पावर प्लांट का निर्माण शुरू करेगा और उनके बच्चे को गांव में ही नौकरी मिलेगी. दस सालों में मौके पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं होने से परेशान ग्रामीणों ने खाली जमीन पर खेती करने की कोशिश की. पहले भी प्रशासन की टीम ग्रामीणों को समझने का काम कर चुकी थी. लेकिन फिर भी कई ग्रामीणों ने खाली पड़ी जमीनों पर फसल लगा दी. फसल बड़ी हुई तो प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर फसलों पर बुलडोजर चलवा दिया.

ग्रमीणों का कहना खेती की मिले अनुमति

किसानों का आरोप है कि 32 साल पहले उनसे यह जमीन सस्ते दामों में खरीदी गई. नौकरी के लालच में किसानों ने अपनी जमीन सरकार बेच दी. किसानों का आरोप है कि उनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. अब न तो उनके पास पैसा है, और न परिवार के सदस्य को नौकरी मिली. ऐसे में किसान चाहते हैं कि जब तक काम शुरू नहीं होता, उन्हें खेती करने की अनुमति दी जाए़, ताकि उनके परिवारों की गुजर-बसर हो सके.

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