धनबाद पंचेत डैम का उद्घाटन करने वालीं बुधनी मंझियाइन का निधन से इलाके में शोक की लहर धनबादः पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के आईडिया आफ इंडिया के प्रतीक रहे पंचेत डैम का उद्घाटन करने वालीं बुधनी मंझियाइन का निधन हो गया. लंबे समय से बीमार रहने के बाद शुक्रवार की रात निरसा के पंचेत हिल अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है.
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85 की उम्र में उन्होने अंतिम सांस लीं, वो काफी समय से बीमार थीं. बुधनी मंझियाइन अपने पीछे पूरा परिवार छोड़ कर गई हैंं, उनकी एक बेटी और एक पुत्र है. दामोदर घाटी पंचेत और सीआईएसएफ के जवानों द्वारा उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इसके बाद पूरे पंचेत में उनकी अंतिम यात्रा निकाली गयी और बड़े ही सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी गयी. इसके बाद उनका दाह संस्कार पंचेत घाट पर किया गया. बुधनी मंझियाइन का पैतृक गांव मानभूम जिला के खैरबना में था जो पंचेत डैम बनने के बाद पूरी तरह से विस्थापित हो गया था.
बता दें कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंंडित जवाहर लाल नेहरु ने धनबाद के पंचेत डैम का 6 दिसंबर 1959 को पंचेत की रहने वाली बुधनी मंझियाइन के हाथों हाईडल का स्वीच दबवाकर पंचेत डैम का उद्घाटन करावाया था. इस दौरान बुधनी मंझियाइन द्वारा पंडित नेहरू का माला पहनाकर स्वागत किया था. इसके बाद से पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू वही माला बुधनी के गले में डाल दी थी. इसके समाज में बुधनी मंझियाइन पंडित नेहरू की तथाकथित पत्नी के रूप में जानी जाने लगी थीं. इसके काफी समय के बाद जब ये मामला दिल्ली तक पहुंचा तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रयास से बुधनी मंझियाइन को डीवीसी में नौकरी मिली.
बुधनी कैसे बनीं कथित 'नेहरू की पत्नी'! झारखंड की धनबाद की रहने वाली बुधनी मंझियाइन की कहानी बेहद दिलचस्प है. बुधनी की पहचान कथित रूप से 'नेहरू की पत्नी' के रूप में है. बुधनी की इस पहचान को सुन आप जानने के लिए उत्सुक होंगे कि ये कैसे हो सकता है. हम आपको बताते हैं कि बुधनी और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का कनेक्शन क्या है. 6 दिसंबर 1959 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू धनबाद के पंचेत डैम का उद्घाटन करने आए थे. जवाहर लाल नेहरू ने उस डैम का उद्घाटन बुधनी के हाथों करवाया. इसी दौरान बुधनी ने स्वागत में पंडित नेहरू को फूलों की माला पहनाई. इसी बीच पंडित नेहरू ने अपने गले की माला बुधनी के गले में डाल दी. बस यहीं से कहानी ने दूसरा रुख ले लिया. इसके बाद से बुधनी मंझियाइन इलाके में चर्चा का विषय बन गईं. उन्हें आदिवासी समाज के द्वारा नेहरू की कथित पत्नी कहा जाने लगा.
दामोदर वैली कॉरपोरेशन में नौकरी करने वाली बुधनी की ये पहचान उनकी जिंदगी में भूचाल ला दिया. परंपराओं की बेड़ियों में जकड़े समाज ने मान लिया कि बुधनी ने उन्हें माला पहनाकर उनसे शादी कर ली है. इसके बाद उन्हें समाज से बेदखल कर दिया गया. बुधनी बहुत दिनों तक गायब रहीं. बात जब दिल्ली तक पहुंची को प्रशासन ने उन्हें ढूंढ निकाला और डीवीसी में नौकरी दी गई. इसी दौरान बुधनी ने शादी की और अब परिवार के साथ पंचेत में ही रह रही थीं.
पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू की वजह से बुधनी मंझियाइन की इलाके में अलग पहचान है. अब दूर-दूर से इनकी कहानी सुन लोग, उनसे मिलने और उन्हें देखने आते थे. इन तमाम सामाजिक झंझावतों को भूल बुधनी डीवीसी से रिटायर होने के बाद धनबाद से 60 किलोमीटर दूर पंचेत में अपनी पुत्री के साथ जिंदगी व्यतीत कर रही थीं. बता दें कि बुधनी मंझियाइन और पंडित नेहरू से जुड़ी यादों को डीवीसी कार्यालय में आज भी सहेज कर रखा गया है.