नई दिल्ली : संसद में बजट सत्र के पांचवें दिन आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ओडिशा से निर्वाचित बीजद सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार अपने फैसलों में ओडिशा के साथ भेदभाव (discrimination with odisha in railways) कर रही है. उन्होंने कहा कि रेलवे से जुड़ी परियोजना में उन्हें कहा गया कि ओडिशा में समुद्री किनारों के कारण परियोजना लागू करना संभव नहीं है, लेकिन आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में परियोजना को स्वीकृति दी गई. यह साफ बताता है कि ओडिशा के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
महिलाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की अनदेखी !
महिलाओं को बंधन मुक्त (women emancipation) करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भाजपा का दोहरा मानदंड साफ नजर आता है, जब सबरीमाला प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी महिलाओं को उनका अधिकार नहीं दिया गया. आचार्य ने कहा कि अभिभाषण में महिला सशक्तिकरण को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताया गया है लेकिन यह तथ्यों के विपरीत है. उन्होंने कहा कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे बहुत नारे हैं किंतु सबरीमला मामले में क्या हुआ? उन्होंने भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा, 'एक ओर हम महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने की बात करते हैं फिर हम कैसे महिलाओं को मंदिर में जाने से रोकने का समर्थन कर सकते हैं ?
संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि सरकार का पाखंड उजागर हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रचंड बहुमत के बाद भी सरकार महिलाओं के आरक्षण का प्रावधान नहीं कर रही है. उन्होंने देश के फेडरल स्ट्रक्चर के साथ छेड़छाड़ करने के मुद्दे पर भी सरकार को आड़े हाथों लिया. प्रसन्न आचार्य ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण वास्तविकता से दूर दिखता है, और सरकार की करनी और कथनी में साफ फर्क नजर आता है.
उन्होंने कहा कि 2010 में उच्च सदन में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बावजूद यह आज तक कानून नहीं बन पाया है. बीजद सदस्य प्रसन्न आचार्य ने कहा कि संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व आज कुल दस प्रतिशत और देश की विभिन्न विधानसभाओं में मात्र नौ प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि परंपरावादी मुस्लिम देशों में भी आरक्षण है तथा पाकिस्तान एवं बांग्लादेश ने भी महिला आरक्षण विधेयक पारित कर दिया है. उन्होंने कहा, 'किंतु हम अनिच्छुक हैं. हम एक ओर उनके अधिकार बढ़ाने की बात करते हैं, वहीं उनको उनका राजनीतिक अधिकार देने के इच्छुक क्यों नहीं हैं?'
किसान क्यों कर रहा आत्महत्या ?
बीजू जनता दल के नेता प्रसन्न आचार्य ने किसानों की आय दोगुना करने के वादे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने पूछा कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गयी है तो आज उन्हें प्रतिदिन आत्महत्या करने को मजबूर क्यों होना पड़ रहा है? उन्होंने कहा कि अभिभाषण में किसानों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की जो बात कही गयी है, वह स्वागत योग्य है. किंतु उन्होंने यह भी प्रश्न किया कि जब किसान ने देश में इतना योगदान दिया तो बदले में उन्हें क्या लाभ मिला? उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल ने किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था.
एनसीआरबी के आंकड़ों का जिक्र
उन्होंने सरकार से प्रश्न किया कि क्या किसानों की आय अभी तक दोगुनी हो पायी? उन्होंने यह भी पूछा कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गयी होती तो वे प्रतिदिन आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि आत्महत्या करने वालों में छोटे एवं सीमांत किसान और भूमिहीन कृषक सबसे अधिक हैं. बीजद नेता ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में देश में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत अधिक मामले थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांग के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए कानून बनाने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.
ओडिशा को मिले विशेष राज्य का दर्जा
प्रसन्न आचार्य ने प्राकृतिक आपदाओं से ओड़िशा को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसे विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा देने की मांग की. बीजद नेता प्रसन्न आचार्य ने कहा कि वह अभिभाषण में राष्ट्रपति द्वारा 75 वर्ष की देश की विकास गाथा में योगदान करने वाली सारी महान विभूतियों को नमन करने का स्वागत करते है. उन्होंने कहा कि नये भारत के निर्माण के लिए नींव तैयार करने में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित देश के सभी महान नेताओं के योगदान का सम्मान होना चाहिए.
आजादी के महानायकों के प्रति सरकार का रवैया
आचार्य ने कहा कि वह इस बात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की सराहना करते हैं कि वह कुछ मामलों में राष्ट्रवादी रुख अपना रही है. उन्होंने कहा कि नेताजी को लेकर किया गया निर्णय बहुत अच्छा है क्योंकि देश के सभी लोग उनके योगदान को स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि देश में कई लोगों का यहां तक मानना है कि यदि नेताजी जीवित रहे होते और स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के निर्णयों की अगुवाई कर रहे होते तो हमारे देश के स्वरूप की दिशा भिन्न होती, किंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया. बीजद नेता ने कहा, 'दुर्भाग्यवश हमारे देश में कुछ ऐसे लोग रहे हैं, जिनके बारे में मैं संकेत नहीं करना चाहता, जिन्होंने कुछ नेताओं को आदर्श के रूप में पेश करने के लिए नेताजी एवं अन्य कई के योगदान को आराम से भुला दिया.'
सुंदरगढ़ जिले में एम्स की जरूरत
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय की सराहना करते हैं कि देश में हर वर्ष अब गणतंत्र दिवस उत्सव की शुरुआत नेताजी के जन्मदिवस 23 जनवरी से होगी. आचार्य ने कहा कि राष्ट्रपति ने जम्मू एवं कश्मीर में दो एम्स खोलने की घोषणा की है जिसका वह स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा 'किंतु देश में कई ऐसे स्थान है जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा बहुत ही खराब है. ओडिशा का सुंदरगढ़ एक ऐसा ही जिला है जहां एम्स को तुरंत खोलने की आवश्यकता है.'
आईएएस कैडर रूल में बदलाव पर सवाल
आचार्य ने आरोप लगाया कि प्रत्येक विधेयक में सरकार राज्यों के कोई न कोई अधिकार ले लेती है. उन्होंने सवाल किया कि यह किस तरह का संघवाद है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस रवैया का ताजा उदाहरण भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की पदोन्नति के मामले में उसका नया फैसला है. उन्होंने कहा, 'सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है.' बीजद ने मांग की कि पेट्रोलियम पदार्थों और शराब पर जो उपकर और अधिभार केंद्र लगाता है उससे होने वाली प्राप्ति में से कुछ हिस्से को राज्यों को दिया जाना चाहिए, जो अभी नहीं दिया जा रहा है.