नई दिल्ली : संसद का बजट सत्र बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और इस दौरान लोकसभा में 114 प्रतिशत वहीं राज्यसभा में 90 प्रतिशत कामकाज हुआ. कोविड-19 महामारी के दौरान आम बजट के पेश होने के बाद उसे पारित करने का संसद का यह एकदम नया अनुभव रहा, क्योंकि सत्र के दौरान कुछ समय दोनों सदनों की बैठक अलग अलग समय पर हुई तथा सदस्यों की बैठने की व्यवस्था भी कोविड दिशानिर्देशों को ध्यान में रखकर की गयी. सत्र के दूसरे चरण में दोनों सदनों की बैठक एक ही समय पर होने लगीं.
सत्र की शुरूआत दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति अभिभाषण के साथ हुई. हालांकि कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी पार्टियों ने तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए राष्ट्रपति अभिभाषण का बहिष्कार किया था.
बजट सत्र के पहले चरण में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई, जिसका जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया. सत्र के दौरान आम बजट के साथ जम्मू कश्मीर और पुडुचेरी से जुड़े विनियोग विधेयकों पर चर्चा कर उन्हें पारित किया गया.
दोनों सदनों में इस दौरान जो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये उनमें वित्त विधेयक के अलावा खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2021, संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश संशोधन विधेयक, 2021, बीमा (संशोधन) विधेयक, 2021, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2021 और नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता विधेयक, 2021 प्रमुख हैं.
बजट सत्र में लोकसभा की 24 बैठकें हुईं जो कुल 132 घंटे तक चलीं.
पीठासीन सभापति भर्तृहरि महताब ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के निर्देशानुसार और सदन के सदस्यों के सहयोग से 17वीं लोकसभा के अन्य सत्रों की भांति बजट सत्र में भी रिकॉर्ड कार्य हुआ. इस सत्र के दौरान 114 प्रतिशत कामकाज हुआ.
गौरतलब है कि लोकसभा अध्यक्ष बिरला कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण पिछले कुछ दिन से सदन की कार्यवाही संचालित नहीं कर रहे थे. महताब ने बताया कि इस बजट सत्र में विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए सभा 48 घंटे और 23 मिनट देर तक बैठी.
लोकसभा में बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी सदन में मौजूद थे. राज्यसभा में बजट सत्र के दौरान हुए कामकाज का लेखाजोखा प्रस्तुत करते हुए नायडू ने कहा कि सत्र के दौरान सदन में 90 प्रतिशत कामकाज हुआ, जबकि व्यवधान के चलते लगभग 21 घंटे बर्बाद हुए.