नई दिल्ली : रेलवे हमारे देश की परिवहन व्यवस्था की लाइफ लाइन है. माल भाड़ा से लेकर यात्रियों के मूवमेंट में सबसे बड़ी भूमिका रेलवे की होती है. यही वजह है कि ब्रिटिश काल से ही रेल बजट अलग से पेश किया जाता था. लेकिन 2017 में यह परंपरा टूट गई. मोदी सरकार ने रेल बजट को आम बजट में शामिल कर दिया. रेलवे के महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार रेल मंत्रालय को बड़ी धनराशि आवंटित करता है.
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए रेलवे बजट 4.8 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है. यह कुल बजट का 12 फीसदी पड़ता है. हमारा कुल बजट 39.45 लाख करोड़ रु. का आंका गया है. कोविड के समय में लगाए गए लॉकडाउन के हटने के बाद परिवहन व्यवस्था को फिर से नई गति मिली है. इससे सबसे ज्यादा फायदा रेलवे को हुआ है. कोविड काल से तुलना करें तो रेलवे की आमदनी में 74 फीसदी तक का इजाफा हुआ है.
सरकार द्वारा बजटीय समर्थन के अलावा रेलवे की आमदनी के प्रमुख स्रोत हैं- माल ढुलाई और यात्री ट्रेनों से होने वाली कमाई. कुछ अन्य मदों से भी रेलवे की आमदनी होती है. रेलवे को सबसे ज्यादा माल ढुलाई से ही आमदनी होती है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में रेलवे को 2.34 लाख करोड़ रु. की कमाई का अनुमान है. इनमें से 1.65 लाख करोड़ रु. माल ढुलाई से आने का अनुमान है. यह हिस्सेदारी दो तिहाई से भी अधिक है.
इसके बाद पैसेंजर ट्रेन से कमाई की हिस्सेदारी होती है. इस साल 58,500 करोड़ रु. की कमाई का अनुमान है. जाहिर है, इसकी भागीदारी एक चौथाई से भी कम है. इन दोनों के अलावा रेलवे को करीब 16 हजार करोड़ रु. कोचिंग रिसिप्ट और अन्य मदों से अर्जित करने का अनुमान है.
बजटीय सहयोग- जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि रेलवे की कमाई 2.4 लाख करोड़ है, लेकिन यह आय रेलवे के लिए पर्याप्त नहीं है. ऐसे में जबतक कि उसे बजटीय सहयोग न मिले, रेलवे के सामने मुश्किल हालात हो जाएंगे. इस साल रेलवे को सरकार की ओर से 1.37 लाख करोड़ रु. का अतिरिक्त बजटीय सहयोग मिलने का अनुमान है. इस तरह से रेलवे के पास कुल 3.77 लाख करोड़ का बजट उपलब्ध होगा. भारत सरकार से अपनी प्राप्तियों और पूंजीगत समर्थन के अलावा, रेलवे अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की व्यवस्था भी करेगा. इस तरह से कुल रेल बजट 4.8 लाख करोड़ रु का हो जाएगा.
खर्च -रेलवे का राजस्व और पूंजीगत खर्च लगभग समान है. यानी उसकी कमाई 2.34 लाख करोड़ रु. है और कैपिटल एक्सपेंडिचर भी इसी स्तर पर है. कैपिटल एक्सपेंडिचर का मतलब होता है- रेलवे लाइनों का विस्तार, गेज में परिवर्तन, रेलवे लाइन को दोहरीकरण, इलेक्ट्रिफिकेशन, इंजन की खरीद, रोलिंग स्टॉक वगैरह में निवेश. वर्तमान वित्तीय वर्ष में इस पर 2.46 लाख करोड़ रु. के निवेश का अनुमान है. कुल मिलाकर जब इसे देखेंगे तो आप पाएंगे कि रेलवे की ऑपरेटिंग रेशियो 97 फीसदी है. इसे सामान्य अर्थ में बताएं तो रेलवे एक रुपए की कमाई के लिए 97 पैसा खर्च करता है.
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