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Nominated for Presidential Award : एसपीओ भाई को आतंकियों से बचाने में गई थी उमर की जान

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Published : Feb 11, 2023, 10:32 PM IST

मोहम्मद उमर डार और इश्फाक अहमद डार की 26 मार्च, 2022 को जम्मू कश्मीर के बडगाम में उनके घर के अंदर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उमर का नाम उन सात व्यक्तियों की सूची शामिल है जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सर्वश्रेष्ठ जीवन रक्षा पदक से सम्मानित करेंगी.

Nominated for Presidential Award
मोहम्मद उमर डार का परिवार

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श्रीनगर:मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के चटबाग इलाके में आतंकवादियों की गोलीबारी में मारे गए दो भाइयों में से एक को सर्वश्रेष्ठ जीवन रक्षा पदक राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है. आतंकवादियों ने पिछले साल मार्च में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.

दो भाइयों मोहम्मद उमर डार और इश्फाक अहमद डार की 26 मार्च, 2022 को चटबग बडगाम में उनके घर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इश्फाक जम्मू-कश्मीर पुलिस में एसपीओ के रूप में काम कर रहा था, जबकि उमर सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहा था. उमर उन सात व्यक्तियों की सूची में शामिल है जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया जाएगा.

मारे गए युवकों के परिवार के लिए इस पुरस्कार ने दोहरे हत्याकांड के उस भयावह पल को फिर याद दिया दिया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उनके बड़े भाई एजाज अहमद डार ने कहा कि 'मैं उस रात घर पर मौजूद नहीं था, मेरी पत्नी ने मुझे फोन किया और कहा कि चार अज्ञात व्यक्ति हमारे घर में घुस आए हैं. उन लोगों ने मेरे छोटे भाइयों को ढूंढना शुरू कर दिया और फिर उन पर गोली चला दी. इस पर उमर डार ने असाधारण बहादुरी दिखाई और अपने भाई इश्फाक के लिए आतंकवादियों से लड़े. उसने मां और अपनी भाभी को एक कमरे में बंद कर दिया और निहत्थे लड़ा. इसी दौरान उसे गोली लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. उन्होंने कहा कि गोलीबारी में उसके भाई इश्फाक और उमर दोनों मारे गए.

मारे गए युवकों के पिता ने कहा कि इन हत्याओं ने परिवार को मायूस कर दिया है. एक जहां पुलिस में कार्यरत था, वहीं दूसरा एसआई भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहा था. हम नहीं जानते कि उनकी क्या गलती थी.

उन्होंंने कहा कि एक मजदूर होने के नाते उन्होंने अपने बेटों को शिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत की है. उनका कहना है कि भले ही हमें पुरस्कारों के नामांकन के लिए भारत सरकार से स्वीकृति पत्र मिल गया, लेकिन वह खुशी नहीं लौटेगी जो उस दिन आतंकवादियों ने हमसे छीन ली.

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