देहरादून(उत्तराखंड): होप डेविड एक नवोदित पैरा-एथलीट हैं. इस पैरा-एथलीट को उत्तराखंड से निराशा हाथ लगी है. दरअसल, होप डेविड देहरादून शिफ्ट होना चाहती हैं. इसके लिए उन्होंने देहरादून के स्कूलों में आवेदन किया. मगर देहरादून के नामी स्कूल ने सुविधाओं का हवाला देते हुए उन्हें एडमिशन देने से इंकार कर दिया. होप डेविड और उनके परिवार का कहना है कि उन्हें देहरादून के स्कूलों ने प्रवेश देने से मना किया गया. जिसके बाद वे सपरिवार बेंगलुरु शिफ्ट हो रही हैं. होप की मां शिल्पी डेविड ने बताया कि वो देहरादून से ताल्लुक रखती हैं. होप के परिजनों ने बताया वे पिछले चार सालों से गुरुग्राम में रह रहे थे. जब वह 4 साल की थीं तब उन्हें एक ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा.
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होप की मां शिल्पी डेविड ने कहा हम देहरादून वापस आना चाहते थे. वे होप की शिक्षा जारी रखना चाहते हैं. इसके लिए हमने देहरादून के नामी स्कूलों से संपर्क किया, लेकिन हमें वापस भेज दिया गया. होप के परिजनों कहा हमें बताया गया कि उनका स्कूल व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ नहीं है, इसलिए हमें अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ा. हमने बाल अधिकार आयोग से मामले की शिकायत की है.
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होप की मां शिल्पी डेविड ने कहा कि हमें यहां प्रवेश नहीं मिल सका. इसलिए हमने बेंगलुरु के स्कूलों से संपर्क किया. बेंगलुरु के स्कूलों ने हमारा स्वागत किया है. जिसके बाद हमने बेंगलुरु शिफ्ट होने का फैसला किया है. बता दें होप डेविड व्हीलचेयर रेसिंग और व्हीलचेयर टेनिस खेलती हैं. होप मैराथन में जा चुकी हैं और दुबई में हाल ही में पैरा-एथलीट कार्यक्रम में भी भाग लिया है. बता दें व्हीलचेयर रेसर पैरा एथलीट होप टेरेसा डेविड ने दुबई मैराथन 2023 में फिनिशर मेडल हासिल कर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया था. उन्होंने इस मैराथन में 35 मिनट में 4 किमी की दूरी तय की. इसके साथ ही वह सबसे कम उम्र में यह रिकॉर्ड हासिल करने वाली पैरा एथलीट बनी थी.
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वहीं, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने बताया कि बच्ची के माता-पिता ने उनसे संपर्क किया था. होप जन्म से ही स्पाइना बिफिडा से पीड़ित है, जिसके कारण उनकी कई सर्जरी हो चुकी हैं और वो चल नहीं सकती है और व्हीलचेयर बाउंड है. आयोग ने बीते 2 जून को उन सभी स्कूलों को बुलाया था जिन्होंने उन्हें प्रवेश देने से मना कर दिया था, लेकिन उस दिन केवल दो स्कूल ही आए. ये पाया गया कि देश का नाम रोशन करने वाले दिव्यांग बच्चे के प्रति संवेदनशीलता का बिल्कुल अभाव था. आयोग ने डीजी शिक्षा को विकलांग-अनुकूल उपायों पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए लिखा है. उन स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने बच्ची को प्रवेश देने से इनकार किया.
(एएनआई इनपुट)