बुद्ध पूर्णिमा : हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, भगवान बुद्ध सत्य की खोज के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. बौद्ध धर्म के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के जन्म के रूप में मनाया जाता है. एक मान्यता के अनुसार, महात्मा बुद्ध का जन्म इसी दिन लुम्बिनी में हुआ था और माना जाता है कि इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. वे वर्षों तक सत्य की खोज में भटकते रहे और बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे कठोर तपस्या कर सत्य का ज्ञान प्राप्त किया. उसी ज्ञान से उन्होंने सारे संसार को नई रोशनी दी. Buddha purnima के दिन भगवान बुद्ध की पूजा के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है.
भगवान बुद्ध के साथ भगवान विष्णु की पूजा करना: बुद्ध पूर्णिमा के दिन कई लोग व्रत रखते हैं.इस दिन किसी पवित्र सरोवर या नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व है. स्नान के बाद और पूजा के बाद दान अवश्य करना चाहिए.कहा जाता है कि इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है.बुद्ध पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना बहुत शुभ होता है. buddha purnima के दिन भगवान विष्णु ( Bhgvan Vishnu )और चंद्र देव ( Chandra Dev )की पूजा करने सेआर्थिक समस्या दूर होती है.
बुद्ध पूर्णिमा की तिथि-समय : इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है.हिंदूधर्म के अलावा बौद्ध धर्म में भी इस तिथि का बहुत महत्व है. Buddha Purnima इसलिएभी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकिभगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवांअवतार माना जाता है.इसलिए इस दिन को हिंदूऔर बौद्ध दोनों ही धर्मों के लोगधूमधाम से मनाते हैं. बुद्ध पूर्णिमा की शुभ तिथि 15 मई को दोपहर 15:45 मिनट से 16 मई की रात 09:45 मिनट तक रहेगी.इस बार साल का पहला Chandra grahan 2023 ( चंद्र ग्रहण ) भी बुध पूर्णिमा को ही पड़ रहा है,लेकिन भारत में कहीं भी Lunar eclipse का असर नहीं होगा.पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.