गुवाहाटी : बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के लिए हुए चुनाव इस बार बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) के लिए मतपत्रों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह अगले साल की शुरुआत में असम में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सेमीफाइनल है. इसके अलावा यह चुनाव अगले साल के चुनावों से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों और राजनीतिक गठबंधनों के लिए एक टेस्ट के रूप में भी देखा जा रहा है.
40 सीटों पर हो रहे बीटीसी चुनाव के पहले चरण में 21 सीटों पर सात दिसंबर को चुनाव आयोजित किया गया था, जबकि गुरुवार को 19 सीटों के लिए दूसरे चरण के चुनाव हुए. इस बीच अगर कही दोबारा मतदान की जरूरत हुई तो, वह 11 दिसंबर को होगा. वहीं चुनाव परिणाम के लिए मतों की गिनती 12 दिसंबर होगी.
काउंसिल में कुल सदस्य की कुल संख्या 46 है, जबकि हर पांच साल में 40 चुने जाते हैं और छह सदस्य नामित होते हैं. बीटीसी चुनावों ने असम में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और उसके साथी बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ) के बीच रिश्तों में खटास देखने को मिली है, जो 2003 में अपने गठन के बाद से बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल पर शासन कर रहा है.
हालांकि, भाजपा और बीपीएफ अभी भी दिसपुर में मिलकर शासन कर रहे हैं. लेकिन दोनों दल अलग-अलग बीटीसी चुनाव लड़े हैं और संकेत हैं कि दोनों दलों के बीच गठबंधन लंबे समय तक नहीं चलेगा. वो भी सब जब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में ज्यादा समय नहीं बचा है.
बीजेपी और बीपीएफ दोनों ने बीटीसी चुनावों के दौरान अपने रिश्तों में खटास पैदा की. यहां तक कि भगवा पार्टी के नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने बीपीएफ प्रमुख और पूर्व विद्रोही हगामा मोहिलरी को जेल में डालने की धमकी तक दे डाली.
वहीं, मोहिलरी ने सरमा पर लुईस बर्जर से लेकर शारदा चिट फंड घोटाला और रोज वैली चिट फंड घोटाले तक राज्य के सभी वित्त घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया. 2020 में तीसरे बोडो शांति समझौते की सफलता पर सवार भगवा पार्टी को यहां एक विस्तार मोड पर भी देखा जा रहा है.