नई दिल्ली:महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को बढ़ावा देते हुए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भारत-बांग्लादेश सीमा की रक्षा के लिए फ्लोटिंग बॉर्डर आउटपोस्ट (एफबीओपी) में महिला कर्मियों को तैनात किया है.
बीएसएफ साउथ बंगाल फ्रंटियर ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पहली बार विशाल घने जंगलों और नदियों से घिरे इस दलदली और दुर्गम क्षेत्र से गुजरने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए महिला प्रहारियों को तैनात किया है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए बीएसएफ (दक्षिण बंगाल) के उप महानिरीक्षक, अमरेश आर्य (Amresh Arya) ने कहा कि बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ सैकड़ों वर्ग किलोमीटर में फैले सुंदरबन में सीमाओं को सुरक्षित करना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है.
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से मवेशियों, ड्रग्स और घुसपैठ की तस्करी एक बड़ी समस्या रही है. उन्होंने कहा, 'चूंकि भूमि सीमा चौकियों का निर्माण क्षेत्र में संभव नहीं है, बीएसएफ फ्लोटिंग बीओपी के माध्यम से चौबीसों घंटे निगरानी रखता है.'
बीएसएफ के इतिहास में यह पहली बार है कि सुंदरबन जैसे कठिन इलाके में सीमा पर गश्त और फ्लोटिंग बीओपी के संचालन के लिए महिला प्रहारियों की एक पलटन को तैनात किया गया है. उन्होंने कहा कि इनकी तैनाती महिला तस्करों द्वारा की जा रही तस्करी को रोकने में विशेष रूप से सहायक होगी.
क्षेत्र में सतर्कता बढ़ाने के लिए हाल ही में तैनात की गई बीएसएफ की छह नई फ्लोटिंग बीओपी में से एक बीओपी गंगा को अब पूरी तरह से महिला प्रहरियों के जिम्मे सौंप दिया गया है. बहादुर महिला प्रहरी ने अब इस फ्लोटिंग बीओपी से सीमा सुरक्षा का मोर्चा संभाल लिया है और वे स्वतंत्र रूप से लड़ाकू भूमिका में नजर आएंगी. उन्होंने कहा कि एफबीओपी में एक सब इंस्पेक्टर सहित 15-20 महिला कांस्टेबल मौजूद रहेंगी.
उन्होंने कहा, 'हमारे पास बीएसएफ सीमांत (दक्षिण बंगाल) में 1400 महिला कर्मी हैं. चूंकि महिला कर्मियों को सभी क्षेत्रों में तैनात किया जाता है, इसलिए महिला एफबीओपी की परिकल्पना की गई थी.'
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