अयोध्याःश्री रामचरितमानस के अनुसार जब रावण माता सीता का हरण कर लंका ले जा रहा था उसे समय माता सीता की रक्षा करते हुए अपने प्राण गंवाने वाले पक्षीराज जटायू को भगवान राम लला के नवनिर्मित मंदिर से लगभग 500 मीटर पहले एक विशाल टीले पर स्थान दे दिया गया है. राम जन्मभूमि परिसर में मौजूद प्राचीन कुबेर टीला पर्वत पर विशालकाय पक्षीराज जटायु की कांस्य की प्रतिमा की स्थापना की जा रही है. यह प्रतिमा जमीन तल से करीब 50 फीट ऊपर स्थित कुबेर टीले पर स्थापित की जा रही है. प्रतिमा की ऊंचाई करीब 8 फीट और चौड़ाई लगभग 10 फीट है.
कई महापुरुषों को भी दिया जा रहा है स्थान
22 जनवरी 2024 को भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव से पूर्व मंदिर निर्माण की दिशा में इस प्रतिमा की स्थापना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. आपको बताते चले कि भगवान राम के मंदिर के निर्माण के साथ ही श्री रामचरितमानस की कथा में शामिल विभिन्न महापुरुषों और राम भक्तों को मंदिर परिसर में स्थान दिया जा रहा है. इनमें महर्षि विश्वामित्र महर्षि वशिष्ठ, माता शबरी सहित अन्य देवी देवता और महापुरुष शामिल है. इसी कड़ी में रावण से युद्ध करते हुए माता सीता की रक्षा में अपने प्राण गंवाने वाले पक्षी राज जटायु को भी स्थान दिया गया है. परिसर में ही मौजूद प्राचीन कुबेर टीला पर 5 फीट ऊंचे पत्थर के प्लेटफार्म पर कांस्य की विशालकाय प्रतिमा को स्थापित किया गया है. आपको बताते चलें कि इस टीले पर पहले ही एक छोटा सा शिव मंदिर भी मौजूद था. राम जन्मभूमि दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को दूर से ही ऊंचे टीले पर विशालकाय जटायु राज के दर्शन होंगे.
राम कथा कुंज में होंगे राम कथा के सजीव दर्शन
राम जन्मभूमि परिसर में भगवान राम के जन्म से लेकर रावण वध तक की कथा को प्रतिमाओं के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा. इसके लिए मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस से प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं जिनके जरिए भगवान श्री राम के जीवन चरित्र को राम भक्त समझ सकेंगे. इस संग्रहालय को राम कथा कुंज का नाम दिया गया है. इसमें लगभग 100 से अधिक प्रतिमाओं के जरिए पूरी रामकथा को प्रदर्शित किया गया है.
अयोध्या में रामसेवक पुरम में बीते कई वर्षों से बनाई जा रही इन प्रतिमाओं को बनाने वाले कारीगर रामकुमार ने बताया की प्रतिमाओं का निर्माण रामायण के अनुसार किया गया है. राम कथा कुंज में प्रवेश करते ही सबसे पहले महाराज दशरथ द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ किए जाने की कथा को दिखाया गया है. इसके बाद भगवान राम का जन्म, तीनों माता द्वारा राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न को प्यार दुलार करते हुए, भगवान राम और चारों भाइयों द्वारा गुरु वशिष्ठ से शिक्षा लेते हुए, जनकपुर में सीता स्वयंवर का प्रसंग, भगवान राम का राज पाठ छोड़कर वन गमन का दृश्य, लंकापति रावण द्वारा सीता का हरण,मां शबरी से भगवान राम का मिलन,बाली सुग्रीव युद्ध का दृश्य,भगवान राम द्वारा समुद्र की पूजा और रावण वध के साथ ही संपूर्ण राम कथा को इन प्रतिमाओं के माध्यम से दिखाया जाएगा.