हैदाराबद :परोपकारी पर हमारे भरोसे की शुरुआत का पता रेडक्रॉस आंदोलन के गठन से लगाया जा सकता है. इंटरनेशनल रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट 1863 में शुरू हुआ और स्विस व्यवसायी हेनरी डुनेंट से प्रेरित था. 1859 में सोलफेरिनो की लड़ाई से दोनों पक्षों के हजारों पुरुषों पर पड़े प्रभाव ने ड्यूनेंट को परेशान कर दिया था. देखभाल की कमी की वजह से तो कई लोगों ने अपनी जान तक गवां दी थी. इस वजह से उन्होंने युद्ध के दौरान पीड़ितों को राहत देने के लिए तटस्थ और निष्पक्ष सहायता प्रदान करने की सोची और शांतिकाल में प्रशिक्षित स्वयंसेवकों से बनी राष्ट्रीय राहत समितियां बनाने का प्रस्ताव रखा.
उनके इन विचारों के कारण जवाब जिनेवा में एक समिति (जो बाद में रेडक्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति बन गई) का गठन किया गया. रेडक्रॉस का संस्थापक चार्टर 1863 में तैयार किया गया था. ड्यूनेंट ने यह भी प्रस्तावित किया कि देश एक अंतरराष्ट्रीय समझौते को अपनाएं, जो युद्ध के मैदान में चिकित्सा सेवाओं और घायलों की स्थिति का जायजा लेगा. यह समझौता- मूल जिनेवा कन्वेंशन - 1864 में अपनाया गया था.
ब्रिटिश रेडक्रॉस का गठन
जुलाई 1870 में जब फ्रांस और प्रशिया के बीच युद्ध छिड़ गया था, तब कर्नल लोयड-लिंडसे (बाद में लॉर्ड वांटेज ऑफ लॉकिंग) ने द टाइम्स को एक पत्र लिखा. उन्होंने अन्य यूरोपीय देशों की तरह ब्रिटेन में भी एक राष्ट्रीय समाज के गठन का आह्वान किया. चार अगस्त 1870 में लंदन में एक जनसभा आयोजित की गई और एक प्रस्ताव पारित किया गया : "इस देश में युद्ध के समय बीमार और घायल सैनिकों की सहायता के लिए एक राष्ट्रीय सोसायटी का गठन किया जाए और उसका गठन 1864 का जिनेवा कन्वेंशन द्वारा निर्धारित नियमों के आधार पर किया जाए.''
युद्ध में बीमार और घायलों की सहायता के लिए ब्रिटिश नेशनल सोसाइटी का गठन किया गया. इस सोसायटी ने फ्रेंको-प्रशियन युद्ध के दौरान और 19वीं शताब्दी के दौरान अन्य युद्धों और अभियानों में दोनों युद्धरत सेनाओं को सहायता और राहत दी. 1905 के युद्ध में बीमार और घायलों की सहायता के लिए ब्रिटिश नेशनल सोसायटी का नाम बदलकर ब्रिटिश रेडक्रॉस कर दिया गया. 1908 में सोसाइटी को एचएम किंग एडवर्ड सप्तम द्वारा अपना पहला रॉयल चार्टर प्रदान किया गया था. महारानी एलेक्जेंड्रा इसकी अध्यक्ष बनीं. उस वक्त रेडक्रॉस को अपनी युद्धकालीन भूमिका के लिए कई कुशल स्वयंसेवकों की आवश्यकता थी. इसलिए 1907 में, स्थानीय शाखाओं की एक स्थाई संरचना बनाई गई और देशभर के समुदायों के लिए ब्रिटिश रेडक्रॉस की उपस्थिति को जाहिर किया गया. 1909 में स्वैच्छिक सहायता योजना शुरू की गई और यह सुनिश्चित किया गया कि पूरे यूके में स्वैच्छिक सहायता डिटेचमेंट (VADs) का गठन किया जाए. उनके सदस्य युद्ध के समय क्षेत्रीय चिकित्सा बलों को सहायता प्रदान करते थे.
भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी का गठन
- 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, सेंट जॉन एम्बुलेंस एसोसिएशन की एक शाखा और ब्रिटिश रेडक्रॉस की एक संयुक्त समिति को छोड़कर, भारत के पास प्रभावित सैनिकों की मदद के लिए कोई संगठन नहीं था. बाद में, उसी समिति की एक शाखा ने सेंट जॉन एम्बुलेंस एसोसिएशन के सहयोग से सैनिकों के साथ-साथ उस युद्ध की भयावहता से पीड़ित नागरिकों को भी सहायता व आवश्यक राहत सेवाएं उपलब्ध कराईं.
- ब्रिटिश रेडक्रॉस से अलग होकर भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी के गठन के लिए एक विधेयक 3 मार्च 1920 में भारतीय विधान परिषद में पेश किया गया था. इस पेश करने वाले वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य सर क्लाउड हिल थे, जो भारत में संयुक्त युद्ध समिति के अध्यक्ष भी थे. यह विधेयक 17 मार्च 1920 को पारित किया गया और 20 मार्च 1920 को गवर्नर जनरल की सहमति से 1920 का अधिनियम XV बन गया.
- सात जून 1920 में, भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के गठन के लिए औपचारिक रूप से 50 सदस्यों को नामित किया गया था और उनमें से पहला प्रबंध निकाय चुनने के साथ सर मैल्कम हैली को अध्यक्ष बनाया गया था.
- इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट का सदस्य है. आईआरसीएस और फेडरेशन के भारतीय प्रतिनिधिमंडल के बीच संबंध मजबूत हैं.
- इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी की नेशनल रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज, सेंट जॉन एम्बुलेंस, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट (IFRC), इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेडक्रॉस (ICRC), बहुराष्ट्रीय फर्मों के साथ साझेदारी है. यह भारत सरकार और अन्य एजेंसियों (UNDP, WHO आदि) के साथ भी समन्वय करता है.
- इंडियन रेडक्रॉस एक स्वैच्छिक मानवीय संगठन है, जिसकी पूरे देश में 700 से अधिक शाखाओं का नेटवर्क है, जो आपदाओं/आपात स्थितियों के समय राहत प्रदान करता है. कमजोर लोगों और समुदायों के स्वास्थ्य और देखभाल को भी बढ़ावा देता है. यह दुनिया के सबसे बड़े स्वतंत्र मानवीय संगठन, इंटरनेशनल रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट का एक प्रमुख सदस्य है.
कोविड समय के दौरान IRCS
- अनिश्चितता और अप्रत्याशितता के इस दौर में, दुनिया भर में रेडक्रॉस के कर्मचारी और स्वयंसेवक अभूतपूर्व महामारी से प्रभावित जिंदगियों को बचाने के लिए आगे आ रहे हैं. नई दिल्ली स्थित ICRC क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडल देश भर में COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए एकीकृत प्रतिक्रिया देने के लिए इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी (IRCS) तथा इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटी के साथ मिलकर काम कर रहा है.
- देश भर के कई जिलों में IRCS राज्य शाखाओं के हजारों स्वयंसेवक अथक परिश्रम कर रहे हैं. वे स्वास्थ्य और स्वच्छता संसाधनों के साथ-साथ आवश्यक खाद्य पदार्थ भी उपलब्ध कराते हैं. वे बीमारियों की रोकथाम और स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में लोगों को लगातार जागरूक करते हैं.