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आगरा में अंग्रेज जलाते थे नोटों की गड्डियां, राख होने तक खड़ा रहता था अधिकारी

आईए जानते हैं कि कैसे ब्रिटिश हुकूमत चलन से बाहर हो चुके नोटों का निपटारा करती थी. इसके साथ ही इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया की आगरा ब्रांच में नोटों की गड्डियां क्यों जलाई जाती थीं. इतिहास बनी अंग्रेजी हुकूमत की नोटों को जलाने वाली भट्ठी और चिमनी की पूरी कहानी.

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Published : May 23, 2023, 6:33 PM IST

आगरा में अंग्रेज जलाते थे नोटों की होली, देखे भट्टी की चिमनी

आगरा:रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने जैसे ही बीते दिनों 2000 रुपये के नोट का चलन से बंद करने का ऐलान किया, तो देश में इस पर चर्चा शुरू हो गई. क्योंकि, गुलाबी नोट बंद होने से जनता का चेहरा लाल है, लोग घबराए हुए हैं. 2000 रुपये के नोट जमा करने के लिए आरबीआई ने चार महीने तक का समय दिया है. इसके बाद 2000 रुपए का गुलाबी नोट चलन से बाहर हो जाएगा. मगर, क्या आप जानते हैं कि, ब्रिटिश हुकूमत चलन से बाहर हुए, कटे और फटे नोट का निपटारा कैसे करती थी.

छीपीटोला भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई)

ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं कि, ब्रिटिश हुकूमत देश में चलन से बाहर हुए, कटे और फटे नोटों को जमा करके आगरा लाती थी. फिर, अंग्रेज अफसर की देखरेख में ऐसे नोटों की गड्डियां भट्ठी और चिमनी में जलाई जाती थी. ब्रिटिश हूकुमत ने आगरा में सन् 1934 तक ऐसे ही नोटों की गड्डियों की होली जलाने काम किया. जिसकी गवाह छीपीटोला भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की शाखा परिसर में स्थित भट्ठी और चिमनी आज भी दे रही हैं. आइए, जानते हैं, इतिहास बनी अंग्रेजी हुकूमत की नोटों की होली जलाने वाली भट्ठी और चिमनी की पूरी कहानी.

आगरा में इसी भट्ठी में जलाए जाते थे नोट

मुगलों के बाद देश में ब्रिटिश हुकूमत आई. आजादी से पहले की बात करें तो भारत में इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया हुआ करती थी. तब आगरा के छीपीटोला में इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा 18 सितंबर 1863 में खुली थी. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने आगरा की इसी इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा परिसर में सन 1883 में एक भट्टी और चिमनी स्थापित की थी. जो आज भी है. भले ही अब 89 साल से उससे एक भी नोट नहीं जलाया गया है. लेकिन, आज भी यह भट्टी और चिमनी खड़ी है. जो अपने इतिहास की गवाही दे रही है.

सन 1883 में छीपीटोला में इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, अंग्रेजी हुकूमत के समय पर आगरा के छीपीटोला में अभी जो भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की शाखा है. वहां पर पहले इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा थी. अंग्रेजों ने देश में नोट चलन से बाहर हो जाते थे. जो नोट कटे और फटे होते थे. उन्हें जमा करके जलाया जाता था. इसके लिए अंग्रेजों ने सन् 1883 में छीपीटोला में इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा के परिसर में एक भट्ठी और चिमनी बनवाई थी.

पहले ब्रिटिश हुकूमत चलन से बाहर हुए नोट, कटे और फटे नोट जमा करते थे. इसके बाद देशभर से ऐसे नोट जमा करके आगरा आते थे. यहां पर भट्ठी और चिमनी में ऐसे नोटों को जलाया जाता था. सन् 1934 तक आगरा में नोट जलाने का काम किया जाता रहा. सन् 1934 के बाद आगरा से जयपुर में इंडियन इम्पीरियल बैंक ने नोट जलाने की व्यवस्था की. इसकी वजह मारवाड़ी सेठों की ओर से रजवाड़ों के साथ मिलकर देशी बैंकिग व्यवस्था की शुरुआत बताया जाता है.

अंग्रेज अफसर की देखरेख में जलाए जाते थे नोट:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, अंग्रेजी हुकूमत के समय जो नोट चलन से बाहर हो जाते थे. उन्हें यहां लाकर दिन रात में जलाया जाता था. नोट सही तरह से जलाए जाएं, इसके लिए एक अधिकारी की ड्यूटी रहती थी. जिससे कोई लापरवाही ना हो. आगरा में उस समय नोटों की होली जलाने की वजह से भट्ठी और चिमनी दिन हो या रात सुलगती रहती थी. जब तक नोट जलकर राख नहीं हो जाते थे, तब तक अंग्रेजी अफसर वहां रहता था.

पर्यटन विभाग ने लगवाया फ्लेक्स:उप्र पर्यटन विभाग ने नोट जलाने की चिमनी को सन् 2014 में नई पहचान दी. तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकार्पित व्हाइट फ्लेक्स यहां लगाया था. जिसमें 'ए' और ताज के मुख्य गुंबद को मिलाकर बनाया गया था. ए' के आकार के लोगो पर चिमनी का इतिहास बयां किया गया है. जो अब धुंधला हो गया है.


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