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ब्रेक्सिट के बाद अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए सहयोगी तलाश रहा ब्रिटेन : विशेषज्ञ

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Published : Apr 18, 2021, 3:10 AM IST

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भारत दौर पर आने वाले हैं. इस यात्रा के कई मायने हैं. उनकी यात्रा दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस मुद्दे पर 'ईटीवी भारत' ने पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी से बात की. जी पार्थसारथी ने कहा कि यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद, ब्रिटेन अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए अन्य मित्रों और सहयोगियों की तलाश कर रहा है. जानिए उन्होंने और क्या कहा.

बोरिस जॉनसन
बोरिस जॉनसन

नई दिल्ली :ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोविड 19 के बढ़ते मामलों के कारण अपनी यात्रा अवधि कम कर दी है. अब वह 25 अप्रैल को नई दिल्ली आएंगे. भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने के लिए 2030 के रोडमैप पर सहमत होने के लिए तैयार हैं. जॉनसन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का कार्यक्रम है. साथ ही वह रक्षा और सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत के साथ साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा करेंगे.

पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी ने 'ईटीवी भारत' से कहा कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा महत्वपूर्ण है. जॉनसन की यात्रा ऐसे महत्वपूर्ण समय हो रही है, जब भारत और ब्रिटेन दोनों कोरोना महामारी से निबटने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

जी पार्थसारथी ने कहा कि यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद, ब्रिटेन अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए अन्य मित्रों और सहयोगियों की तलाश कर रहा है.

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ब्रिटेन के साथ संबंधों को महत्व देते हैं. ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी भी भारत को महत्व देती है. यह लगभग तय है कि जैसा कि फ्रांस इंडो-पैसिफिक में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, निश्चित रूप से ब्रिटेन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी नौसेना की उपस्थिति का विस्तार करने के लिए जोर देगा. इसलिए यह यात्रा आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देगी. यह यात्रा इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत पहले से ही 'क्वाड’ में शामिल है जो महत्वपूर्ण यूरोपीय शक्ति एशिया में भारत के सुरक्षा ढांचे को और मजबूती प्रदान करता है.

उन्होंने दोहराया कि जिस तरह फ्रांस इंडो-पैसिफिक में शामिल होने के लिए नजर गड़ाए बैठा है. फ्रांस का इस तरह भारत के साथ रुख देश के लिए अच्छा है. विश्व के ज्यादा देश जिन्हें सुरक्षा का ख्याल है वह 'क्वाड' में भागीदार बनाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि 'ब्रिटेन अत्यधिक ध्रुवीकृत है और ब्रिटेन की लेबर पार्टी प्रो पाकिस्तानी और खालिस्तानी समर्थक है. जबकि कंजर्वेटिव पार्टी भारत के लिए बहुत अनुकूल है क्योंकि वे व्यवसाय के इच्छुक हैं. लेबर पार्टी के बीच भारत के दृष्टिकोण में अंतर में बहुत अधिक ध्रुवीकरण है इसलिए भारत के लिए यूके एक दोस्ताना विकल्प है.'

'व्यापार, निवेश के बढ़ेंगे अवसर'

उन्होंने कहा कि 'बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा से व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य सेवा, जलवायु परिवर्तन, भारत-प्रशांत और सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत-यूके संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.'

लंदन में भारत के उच्चायोग के अनुसार, ब्रिटिश प्रधानमंत्री भारत सरकार और व्यापारिक नेताओं के साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उच्च-स्तरीय चर्चा पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

पार्थसारथी ने कहा, भारत-यूके संबंध इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों देश आर्थिक रूप से इसका विस्तार कैसे करते हैं क्योंकि हाल के वर्षों में आर्थिक सामग्री बहुत कम रही है. हम चीन को पीछे छोड़ने की बात कर रहे हैं लेकिन क्या हमारे पास इसके लिए कोई रणनीति है?

उन्होंने कहा कि 'जब तक देश एक साथ व्यापार को रणनीतिक नहीं करते और ये नहीं देखते कि वे व्यापार और निवेश का विस्तार कैसे कर सकते हैं, ये सिर्फ बातें ही बनकर रह जाएंगी.'

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ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद किसी प्रमुख नेता का यह महत्वपूर्ण विदेशी दौरा होगा. उनकी यह यात्रा भारत-ब्रिटेन रणनीतिक साझेदारी के एक नए युग को आकार देगी. गौरतलब है कि इस साल जनवरी में यूके के प्रधानमंत्री जॉनसन ने कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर नई दिल्ली की अपनी यात्रा रद्द कर दी थी.

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