लखनऊ :एक दौर था, जब सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश की इस आईएएस अफसर के जलवे हुआ करते थे और सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर्स के एक मिनट में लाइक, शेयर, रिट्वीट और कमेंट की झड़ी लग जाती थी. हालांकि पिछले पांच साल से इनके सितारे गर्दिश में हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इनके लखनऊ आवास समेत कई लोगों के 12 ठिकानों पर छापे मार चुकी है. तभी से इन्होंने सोशल मीडिया से तौबा कर लिया और इनके साथ इनके लाखों फॉलोवर आज भी अपनी तेवर वाली लेडी सिंघम बी. चन्द्रकला को खोज रहे हैं. किसी ने उन्हें टैग करके भी कोई बड़ी खबर ‘ब्रेकिंग’ नहीं बनाई. न ही किसी ने उनके उन हजारों कार्यों को दोबारा सोशल मीडिया पर शेयर किया, जो उन्होंने जनता के लिए किया था. हालांकि उनके नाम से सोशल मीडिया पर बने पेज में उनकी तस्वीर गुड मॉर्निंग आदि के मैसेज शेयर होते हैं, लेकिन यह कोई अन्य शेयर करता है. वह सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर हो चुकी हैं.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मार्च 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी. अगले माह अप्रैल में ही उन्होंने बी. चंद्रकला को हमीरपुर जैसे खनन बहुल जिले का जिलाधिकारी बना दिया. वह जून 2014 तक हमीरपुर की डीएम रहीं और वहीं से उनके हिस्से में विवादों ने घर कर लिया. उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि जुलाई 2012 में नियम-कानून को दरकिनार कर सत्तापक्ष के लोगों के कहने पर बी.चंद्रकला ने 60 पट्टे बांट डाले थे. जबकि कानूनन उन्हें ई-टेंडरिंग से पट्टे देने थे. हाईकोर्ट में केस हुआ तो उच्च अदालत ने इन सभी पट्टों को अवैध ठहरा दिया. बात यहीं रुक जाती तो ठीक थी, लेकिन अक्टूबर 2016 में यूपी की सबसे बड़ी कचहरी ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. तब बी.चंद्रकला मेरठ जैसे महत्वपूर्ण जिले की डीएम थीं. वर्ष 2012 से 2017 तक (अखिलेश यादव के सीएम रहने तक) चंद्रकला डीएम बनी रहीं और हमीरपुर, मथुरा, बुलंदशहर, बिजनौर और मेरठ जैसे जिलों की जिलाधिकारी रहीं.