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1960 से ही चीन के अवैध कब्जे में है पैंगोंग झील पर बना पुल : विदेश मंत्रालय

भारत ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा बनाए गए दोनों पुल 1960 के दशक से चीन के अवैध कब्जे में हैं. उक्त बातें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (MEA spokesperson Arindam Bagchi) ने एक सवाल के जवाब में कहीं. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चन्द्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

MEA spokesperson Arindam Bagchi
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची

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Published : May 20, 2022, 8:49 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा दूसरा पुल बनाने की खबरों के आने के बाद भारत ने शुक्रवार को कहा कि ये पुल उन क्षेत्रों में बनाए गए हैं जो 1960 के दशक से चीन के अवैध कब्जे में हैं. इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (MEA spokesperson Arindam Bagchi) ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमने चीन द्वारा पैंगोंग झील पर पहले के एक पुल के अलावा एक दूसरे पुल के बनाने की रिपोर्ट देखी है. उन्होंने कहा कि दोनों ही पुल उन क्षेत्रों में हैं जो अभी भी चीन के अवैध कब्जे में हैं.

उन्होंने कहा कि हमने अपने क्षेत्र पर इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है, न ही हमने अनुचित चीनी दावे या ऐसी निर्माण गतिविधियों को स्वीकार किया है. हमने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे.

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश के सुरक्षा हित पूरी तरह से सुरक्षित हैं, सरकार ने सीमा बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाई है. विशेषकर 2014 से सड़कों और पुलों आदि का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा, सरकार भारत की सुरक्षा पर असर डालने वाले सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखती है और इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है.

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बता दें कि पैंगोंग त्सो झील में अपने कब्जे वाले क्षेत्र पर एक दूसरा पुल बना रहा है जो भारी बख्तरबंद वाहनों को ले जाने में सक्षम होगा. हालांकि नए निर्माण पर भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या पुष्टि नहीं की गई है. वहीं विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जनवरी में पैंगोंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिण तट को जोड़ने वाले पहले पुल के निर्माण का खबरें सामने आईं थी तभी उसने कहा था कि इसे चीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में बनाया जा रहा है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने कभी भी इस तरह के अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है. गौरतलब है कि दूसरे पुल का निर्माण पहले पुल के समानांतर किया जा रहा है जो संकरा है और इसी साल अप्रैल में बनकर तैयार हुआ है.

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