नई दिल्ली : 2014 लेकर कोरोना महामारी की दूसरी लहर तक ब्रांड मोदी का ही बोलबाला रहा. लेकिन हालिया बंगाल विधानसभा चुनाव में हार और कोविड की त्रासदी ने पीएम मोदी की ब्रांड वैल्यू को भी नुकसान पहुंचाने का काम किया है. पीएम मोदी की लोकप्रियता के ग्राफ में ढलान को लेकर बीजेपी काफी सतर्क हो गई है और पार्टी के अंदर लगातार मंथन जारी है.
दरअसल, महामारी के दौरान देश भर से आई तस्वीरों, बेबसी की वीडियो, मौत की खबरों ने आम जनमानस को झकझोकर दिया है. इसी का नतीजा है कि इस बार जनता सीधे केंद्र सरकार और पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराने से नहीं चूक रही. वहीं कई राज्य सरकारें और विपक्षी दल भी केंद्र के खिलाफ लामबंद नजर आ रहे हैं.
जिसे केंद्र व राज्यों के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के दौर से समझा जा सकता है. इतना ही नहीं 2014 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी ग्लोबल स्तर पर ब्रांड मोदी की इमेज पर सवाल खड़ा किए हैं. जैसे-जैसे कोविड-19 की वजह से भारत की स्थिति बिगड़ी वैसे-वैसे मीडिया में ब्रांड मोदी को कटघरे में खड़ा करना शुरु कर दिया.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो ने ने भी पीएम मोदी की बड़ी रैलियों में बगैर मास्क के मौजूद लोगों, कुंभ के आयोजनों पर सांकेतिक भाषा में मोदी को ही जिम्मेदार ठहराया. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने तो यहां तक लिखा कि राष्ट्रीयता का अतिवाद और धार्मिक आयोजनों पर रोक न लगने से यह हाल हुआ है. इन बातों को देश की विपक्षी पार्टियां भी खूब हवा दे रही हैं.
क्या वाकई स्वास्थ्य ढांचा ध्वस्त है?
हालांकि सिक्के का दूसरा पहलू भी है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के समय तक देश में मात्र एक एम्स था. वाजपेयी के दौर में 6 एम्स खोलने का निर्णय किया गया. 2013 में यूपीए दो की सरकार में एक एम्स रायबरेली में खोला गया. वहीं 2014 के बाद पीएम मोदी के कार्यकाल में कुल 14 एम्स खोलने का बड़ा निर्णय लिया गया. 157 मेडिकल कॉलेज भी खोलने के निर्देश दिए.
इसके पीछे उद्देश्य यही था कि सभी जिले में एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण किया जा सके. 2014 तक देश में 50 हजार मेडिकल सीटें थी जिमसें 30 हजार नई सीटें जोड़ी गई. इतना ही नहीं सरकार ने आयुष्मान भारत जैसी बड़ी योजना भी लांच की जो गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. आलोचनाओं के बीच इन तथ्यों से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
पहली लहर में क्या खोया क्या पाया