लखनऊ : मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव इस बार उत्तर प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पूरी शिद्दत के साथ लड़ रही हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जहां मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है तो अब बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती भी पीछे रहने वाली नहीं हैं. एमपी के चुनाव में "बुआ मायावती" एक "भतीजे" के समर्थन में चुनाव प्रचार करने उतरेंगी तो दूसरे "भतीजे" के विरोध में चुनाव प्रचार करेंगी. यह अलग बात है कि एक सगा भतीजा है तो दूसरा मुंहबोला भतीजा.
एमपी में सपा-बसपा का प्रदर्शन. आकाश आनंद पर है विशेष जिम्मेदारी : पहले से ही मध्य प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की जिम्मेदारी सौंपी है. वह लगातार मध्य प्रदेश में डेरा भी डाले हुए हैं. अब तक कई रैलियां और जनसभाएं कर चुके हैं. वहां पर पैदल यात्रा भी निकाल चुके हैं. लगातार संगठन को मजबूत कर रहे हैं और पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में जन समर्थन जुटा रहे हैं. युवाओं को भी साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं. अब भतीजे आकाश का साथ देने के लिए बुआ मायावती खुद चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं. उधर मुंहबोले भतीजे अखिलेश यादव को हराने के लिए भी बुआ मायावती पूरा दमखम के साथ प्रचार प्रसार करेंगी. नवंबर में बसपा सुप्रीमो पांच दिन पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में नौ जनसभाएं करेंगी. हर क्षेत्र में एक दिन में मायावती दो जनसभाओं को संबोधित कर बहुजन समाज पार्टी के पक्ष में मतदाताओं से वोट करने की अपील करेंगी.
एमपी में प्रस्तावित रैलियां.
अब तक 114 उम्मीदवार मैदान में उतार चुकी है बसपा : बहुजन समाज पार्टी मध्य प्रदेश में अब तक 114 उम्मीदवारों को मैदान में उतर चुकी है. चंबल से लेकर बुंदेलखंड तक बसपा विधानसभा सीटों पर फोकस कर रही है. मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी ने आदिवासी मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन भी किया है. बसपा का दावा है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी बेहतर परिणाम लेकर आएगी.
सपा ने अब तक उतारे 40 से ज्यादा प्रत्याशी : पहले समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन दोनों पार्टियों में बात नहीं बन पाई. इसके बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अकेले दम ही चुनाव मैदान में उतारने का फैसला ले लिया. अब तक 40 से ज्यादा प्रत्याशियों की घोषणा समाजवादी पार्टी कर चुकी है. पार्टी के इन प्रत्याशियों में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के अलावा पूर्व नौकरशाह और साधु संत भी शामिल हैं.
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