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Boxer Nikhat Zareen: 'वो कहते थे छोटे कपड़े मत पहनो...और आज वही बनी वर्ल्ड चैम्पियन'

हैदराबाद अब केवल अपनी बिरयानी ही नहीं बल्कि बॉक्सिंग के लिए भी जाना जाएगा. निकहत जरीन वह नाम जो गुरुवार देर रात से हर खेल प्रेमी की जुबान पर है. जिसके मुक्कों ने थाईलैंड की जिटपोंग जुटामस धाराशाई कर दिया. जिसकी ताकत और फुर्ती की कायल पूरी दुनिया हो गई. जो अब मुक्केबाजी की विश्व चैंपियन है. चार बहनों में तीसरे नंबर की निकहत के लिए यह सफर आसान नहीं था और ना ही आसान था उनके पिता और घर वालों के लिए. आइए जानते हैं निकहत के सफर के बारे में...

मुक्केबाज निकहत के पिता बोले
मुक्केबाज निकहत के पिता बोले

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Published : May 20, 2022, 10:22 AM IST

Updated : May 20, 2022, 10:40 PM IST

हैदराबाद :निकहत के पिता मोहम्मद जमील को फुटबॉलर और क्रिकेट का शौक था. वो चाहते थे कि उनकी चार बेटियों में कम से कम कोई एक खेल से जुड़े. निकहत को एथलेटिक्स की ट्रेनिंग दी जाने लगी. किशोरी निकहत स्प्रिंट स्पर्धाओं में स्टेट चैंपियन बन गई. फिर एक रिश्तेदार की सलाह पर एथलेटिक्स छोड़ निकहत ने बॉक्सिंग रिंग का रूख किया. 14 साल की उम्र में निकहत वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैंपियन बन गई.

खेलकुद के शौकिन जमील को अंदाजा लग गया कि निकहत अब रुकने वाली नहीं. कंधे की चोट की वजह से 2017 में एक पूरा साल खेल नहीं पाई. लेकिन निकहत ने कभी हार नहीं मानी. पांच साल बाद दर्द और निराशा की वो घड़ियां अब सिर्फ एक गुजरा हुआ समय बन कर यादों में रह गई है. थाईलैंड के जिटपोंग जुटामस को हराने के बाद निकहत जरीन फ्लाईवेट (52 किग्रा) विश्व चैंपियन बन गई. भावुक जमील कहते हैं कि विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतना एक ऐसी चीज है जो मुस्लिम लड़कियों के साथ-साथ देश की प्रत्येक लड़की को जीवन में बड़ा हासिल करने का लक्ष्य रखने के लिए प्रेरणा देगी. एक बच्चे को, चाहे वह लड़का हो या लड़की, अपना रास्ता खुद बनाना पड़ता है, निकहत ने अपना रास्ता खुद बनाया है.

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चाचा समसमुद्दीन के बेटों एतेशामुद्दीन और इतिशामुद्दनी के मुक्केबाज होने के कारण, किशोरी निकहत को अपने परिवार के दायरे से बाहर प्रेरणा की तलाश नहीं करनी पड़ी. हालांकि, इस खेल में लड़कियों को शॉर्ट्स और ट्रेनिंग शर्ट पहनने की आवश्यकता होती है जिसे अपनाना जमील परिवार के लिए यह आसान नहीं था. 2011 में जब निकहत ने तुर्की की उल्कु डेमिर को हराकर तुर्की में विश्व युवा चैंपियन बनी. तब बेटी की पढ़ाई और खेल के लिए पिता ने निजामाबाद छोड़ने का फैसला किया.

मुक्केबाज निकहत की मां और बहन की प्रतिक्रिया

उन्होंने 15 साल तक सऊदी अरब में एक सेल्स मेन की नौकरी की. जमील ने कहा कि जब निकहत ने हमें बॉक्सर बनने की अपनी इच्छा के बारे में बताया, तो हमारे मन में कोई झिझक नहीं थी. लेकिन कभी-कभी, रिश्तेदार या दोस्त हमें कहते कि एक लड़की को ऐसा खेल नहीं खेलना चाहिए जिसमें उसे शॉर्ट्स पहनना पड़े. लेकिन हमने तय किया था कि निकहत जो चाहेगी. हमें बस उसका साथ देना है. निकहत की दो बड़ी बहनें डॉक्टर हैं. उसकी छोटी बहन बैडमिंटन खेलती है. अब लोग भी निकहत पर गर्व कर रहे होंगे.

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साल 2016 में निकहत ने हरिद्वार में अपने पहले सीनियर राष्ट्रीय खिताब के साथ अपने मुक्के का दम दिखाया. जहां उसने मनीषा को फ्लाईवेट वर्ग में फाइनल में हराया था. 2012 के लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता मैरी कॉम भी उसी श्रेणी में प्रतिस्पर्धा कर रही थीं. सीनियर स्तर पर निखत के लिए राह आसान नहीं थी. 2017 में कंधे की चोट के कारण लगभग पूरा एक साल खराब हुआ. वह राष्ट्रीय शिविर से बाहर रही. लेकिन कोई चोट इस युवा खिलाड़ी को कब तब रोक पाता.

निकहत ने 2017 में ही बेलग्रेड अंतरराष्ट्रीय में खिताब जीता, 2018 में सीनियर नेशनल में कांस्य पदक पर कब्जा जमाया. 2019 एशियाई चैंपियनशिप और थाईलैंड ओपन में पदक युवाओं के सीनियर स्तर पर बढ़ने का संकेत होंगे, लेकिन मैरी कॉम के भार वर्ग में अपना वर्चस्व दिखाने के साथ, यह ज़रीन के लिए एक आसान चरण नहीं था. उन्हें 2018 सीडब्ल्यूजी और एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम में ब्रेक नहीं मिला लेकिन उनके पिता जमील ने उन्हें प्रेरित किया.

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जमील कहते हैं कि जब उसने विश्व युवा खिताब जीता, तो वह 15 साल की थी. उसे यह समझने में कुछ समय लगा कि वरिष्ठ स्तर पर मुकाबले कठिन होते हैं. निकहत की सबसे बड़ी ताकत उसकी इच्छा शक्ति और एक समझदार मुक्केबाज बनने की क्षमता रही. वह खेल को अच्छी तरह से समझती है. मुक्का मारने या मुक्के को चकमा देने जैसी चीजें उसके पास स्वाभाविक रूप से हैं. उसका दिमाग हमेशा, मुकाबलों के दौरान भी सोचने की स्थिति में रहता है. उसके रिंग क्राफ्ट में प्रतिद्वंद्वी के बुद्धि, जागरूकता और धारणा का पता लगाने की क्षमता है.

पिछले तीन वर्षों के दौरान, जरीन ने पूर्व लाइट-फ्लाईवेट (51 किग्रा) विश्व चैंपियन रूस की एकातेरिना पाल्टसेवा और दो बार की पूर्व लाइट-फ्लाईवेट विश्व चैंपियन कजाकिस्तान की नाज़िम काज़ैबे पर जीत हासिल की थी. उन्होंने विश्व चैंपियनशिप से पहले स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता तुर्की की बुसेनाज काकिरोग्लू को हराया भी हराया था. जमील परिवार निकहत की वापसी की तैयारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के कारण पिछले 2-3 वर्षों से, निकहत ने अपनी पसंदीदा बिरयानी और निहारी नहीं खाई है. इस बार घर आने पर वह शायद एक-दो दिन बिरयानी और निहारी का आनंद ले सकेगी.

Last Updated : May 20, 2022, 10:40 PM IST

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