कौशांबी में रुका था बमबाज गुड्डू मुस्लिम. कौशांबी :उमेश पाल हत्याकांड के बाद से बमबाज गुड्डू मुस्लिम फरार चल रहा है. एसटीएफ और पुलिस की टीमें उसे तलाश रहीं हैं. इसके बावजूद उसका पता नहीं चल पा रहा है. हालांकि पुलिस सूत्रों के अनुसार हत्याकांड के बाद गुड्डू मुस्लिम कौशांबी के औधन गांव के एक फार्म हाउस में रुका था. अतीक अहमद के करीबियों ने उसे यहां पनाह दी थी.
उमेश पाल हत्याकांड के बाद एसटीएफ सूबे के जिलों में भटकती रही थी, जबकि बमबाज गुड्डू मुस्लिम कौशांबी के औधन गांव में दो दिन रुककर आराम से निकल भागा था. सर्विलांस, मुखबिर और अन्य सूत्रों से पुलिस को कई सनसनीखेज जानकारियां मिली हैं. पता चला है कि उमेश पाल हत्याकांड के सबसे कुख्यात बमबाज गुड्डू मुस्लिम को कौशांबी के एक फार्म हाउस में पनाह दी गई थी. दो रात वहां रुकने के बाद गुड्डू आगे निकल गया था.
पुलिस के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि गुड्डू के लिए वहां नए असलहे का इंतजाम हुआ था. पिस्टल लेकर गुड्डू निकल भागा था. उसके यहां छिपे होने की आशंका में पुलिस ने सराय अकिल, पिपरी समेत कई थानों की फोर्स और पीएसी ने पिपरी थाना क्षेत्र के जमुना के तराई में औधन गांव के फार्म हाउस समेत कई घरों में दबिश दी थी, लेकिन तब तक गुड्डू वहां से निकल चुका था.
सूत्रों के अनुसार गुड्डू मुस्लिम को अतीक अहमद के करीबियों ने पनाह दी थी. मामले में दो सगे भाई नसीम और शमीम का नाम सामने आया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नसीम और शमीम पर कौशांबी में कई मुकदमे दर्ज हैं. पुलिस को इन दोनों भाइयों की कई फोटो माफिया अतीक व उसके भाई अशरफ के साथ की मिली थी. अतीक गैंग के कई और शूटर और मेंबरों के साथ भी इनकी तस्वीर सामने आई. इसी कड़ी में दो सगे भाइयों ने फार्म हाउस में गुड्डू मुस्लिम को पनाह दी थी. अब पुलिस जांच कर रही है कि उमेश पाल हत्याकांड के दौरान गुड्डू मुस्लिम के पास जो असलहे और बम का बैग था, वह कौशांबी में ही तो नहीं छिपाया गया है. ये भी कहा जा रहा है कि गुड्डू ने वहां असलहा बदला था ताकि खुद की सुरक्षा कर सके.
अब पुलिस और एसटीएफ की जांच में कई परतें खुलने लगीं हैं. पुलिस गोपनीय स्तर पर जानकारी जुटा रही है ताकि असलहों के साथ ही अतीक गैंग के और मेंबर और मददगारों को पकड़ा जा सके. पुलिस की माने तो औधन गांव के कई लोगो से पूछताछ हो रही है जल्द कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं.
गांव के मोहम्मद कासिम फरीदी ने बताया कि 15 से 16 गाड़ियां आईं थीं. छापेमारी की थी, टीमें गुड्डू मुस्लिम और उसके करीबियों को तलाशने आई थीं. टीमें नसीम और शमीम के घर भी पहुंची थीं. गुड्डू मुस्लिम से यहां के लोगों का कोई रिश्ता ही नहीं रहा है. हत्याकांड के बाद लोग उसका नाम जानने लगे. वहीं गांव के माज उस्मानी ने बताया कि बताया जा रहा है कि गुड्डू मुस्लिम यहां छिपा था, जबकि ये गलत है. नसीम और शमीम हमारे चाचा हैं. उनसे गुड्डू मुस्लिम का रिश्ता जोड़ा जा रहा है जबकि गुड्डू मुस्लिम से कोई नाता नहीं रहा है. घर और बाग में पुलिस बार-बार आकर ताकझांक कर रही है, जबकि यहां कुछ नहीं है.
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