मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने बंदी प्रत्यक्षीकरण की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए महिला को बच्चे की कस्टडी अमेरिकी निवासी पति को 15 दिन में सौंपने का आदेश दिया है. मामले के मुताबिक ठाणे की महिला ने अमेरिका के एक व्यक्ति से शादी की और उसके साथ अमेरिका चली गई.
इसके बाद उसने 2019 में अमेरिका में बेटे को जन्म दिया. वहीं बच्चे ने स्वाभाविक रूप से अमेरिकी संविधान के तहत अमेरिकी नागरिकता हासिल कर ली. लेकिन महिला 2020 में बिना कोई कारण बताए बच्चे को लेकर भारत आ गई. इस वजह से पिता ने बच्चे की कस्टडी हासिल करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में एक विशेष बंद प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की.
सुनवाई के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे, जस्टिस गौरी गोडसे ने आदेश दिया कि भारतीय महिला 15 दिन के अंदर बच्चे की कस्टडी अमेरिकी पिता (पति) को दे दे. बता दें कि 31 मार्च 2010 को मुंबई के लड़के और ठाणे की लड़की की शादी हुई थी. पति अमेरिका में सैटेलाइट इंजीनियर के रूप में काम करता है और पत्नी भी अमेरिका में कार्यरत थी. इसी बीच 2019 में एक बच्चे का जन्म हुआ.
हालांकि, बच्चे के जन्म से पहले ही उन्हें अमेरिकी नागरिकता ग्रीन कार्ड मिल गया था, लेकिन लड़का वहीं पैदा हुआ. इस कारण उसने अमेरिकी संविधान के तहत प्राकृतिक जन्म से अमेरिकी नागरिकता हासिल कर ली. वहीं पारिवारिक विवाद के कारण पत्नी अमेरिका से भारत आ गई और उसने दिसंबर 2020 में अपने पति को ईमेल के माध्यम से सूचित किया कि वह उससे संपर्क न करे. उसके बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर उसने 2020 में बॉम्बे हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वकील परजीत जौहर ने पैरवी की जबकि महिला की ओर से वकील एम देसाई ने पैरवी की.
वहीं हाई कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के बाद आदेश जारी किया. कोर्ट ने कहा कि बच्चे का हित सर्वोपरि है और बच्चे का अपने माता-पिता से मिलना जन्मसिद्ध अधिकार है. इसलिए माता-पिता को उसकी शारीरिक, मानसिक जरूरतों और उसकी भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए.साथ ही कोर्ट ने कहा कि पत्नी को पंद्रह दिन के भीतर बच्चे को अमेरिका में पिता को सौंप देना चाहिए. उसकी कस्टडी उसके पिता को दी जानी चाहिए.
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