मुंबई:बंबई उच्च न्यायालय ने आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी के करीब एक महीने बाद वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत की अंतरिम जमानत अर्जी शुक्रवार को मंजूर कर ली. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पी के चव्हाण की खंडपीठ ने धूत को एक लाख रुपये की जमानत राशि पर जमानत दी.
अदालत ने उन्हें नकद मुचलका भरने और इसके दो हफ्ते बाद जमानत राशि जमा कराने की इजाजत दी. पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के उसके आदेश पर रोक लगाने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया, ताकि वह उच्चतम न्यायालय में अपील कर सके. अदालत ने मामले में हस्तक्षेप करने और सह-आरोपियों-आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को अंतरिम जमानत देने वाले इसी पीठ द्वारा पारित आदेश को वापस लेने की एक वकील द्वारा दायर अर्जी भी खारिज कर दी.
पीठ ने वकील पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. धूत ने 10 जनवरी को उच्च न्यायालय का रुख किया था, जब इसी पीठ ने कोचर दंपति को जमानत दी थी. कोचर दंपति को 23 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था. धूत के वकील संदीप लड्डा ने दलील दी थी कि धूत की गिरफ्तारी अवांछित है, क्योंकि उन्होंने जांच में सहयोग किया है.
बहरहाल, सीबीआई ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि वीडियोकॉन समूह के संस्थापक ने जांच से बचने की कोशिश की थी और उनकी गिरफ्तारी वैध है.उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी को दलीलें सुनी थी. अभी न्यायिक हिरासत में बंद धूत ने सीबीआई की प्राथमिकी रद्द करने और उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किए जाने का अनुरोध किया था.
धूत ने सीबीआई द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को मनमानी, अवैध, कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना उठाया गया कदम और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 (ए) का घोर उल्लंघन बताया था, जिसके अनुसार आरोपी को जांच के लिए नोटिस जारी करना अनिवार्य होता है और अत्यंत आवश्यक होने पर ही गिरफ्तारी की जानी चाहिए.