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भीमा कोरेगांव केस : बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन शर्तों पर दी राव को जमानत

बॉम्बे हाई कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वरवरा राव को मेडिकल आधार पर जमानत दे दी है. पीठ ने जमानत देने के साथ कठोर शर्तें भी रखी हैं, जिनमें जमानत की अवधि में वरवरा राव को मुंबई की एनआईए अदालत के न्यायाधिकार क्षेत्र में ही रहने का निर्देश भी शामिल है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

वरवरा राव
वरवरा राव

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Published : Feb 22, 2021, 1:24 PM IST

Updated : Feb 22, 2021, 7:09 PM IST

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीमार कवि वरवरा राव को चिकित्सा के आधार पर सोमवार को छह महीने की अंतरिम जमानत दे दी. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपी राव (82 वर्ष) का इस समय मुंबई के नानावटी अस्पताल में इलाज चल रहा है.

राव को यहां अदालत के हस्तक्षेप के बाद महाराष्ट्र सरकार ने भर्ती कराया है. एल्गार परिषद मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण (एनआईए) कर रही है.

राव 28 अगस्त 2018 से ही न्यायिक हिरासत में हैं और मामले की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की पीठ ने सोमवार को आदेश दिया कि राव को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाए जोकि उनके स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करेगी. पीठ ने कहा कि अस्पताल से छुट्टी के तुरंत बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए.

उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर वह राव को चिकित्सा के आधार पर जमानत नहीं देता तो यह मानवाधिकार के सिद्धांत की रक्षा करने के उसके कर्तव्य एवं नागरिकों के जीवन एवं स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार से विमुख होने जैसे होगा.

पीठ ने जमानत देने के साथ कठोर शर्तें भी रखी हैं जिनमें जमानत की अवधि में वरवरा राव को मुंबई की एनआईए अदालत के न्यायाधिकार क्षेत्र में ही रहने का निर्देश भी शामिल है.

अदालत ने कहा कि राव को अपना पासपोर्ट एनआईए की अदालत में जमा कराना होगा और वह मामले के सह अभियुक्तों से किसी तरह का संपर्क स्थापित करने की कोशिश नहीं करेंगे.

अदालत ने कहा कि राव को 50 हजार रुपये का व्यक्तिगत बांड जमा करने के साथ-साथ ही इतनी ही राशि के दो मुचलके देने होंगे.

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उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय में एक फरवरी को वरवरा राव को चिकित्सा आधार पर जमानत देने की याचिका पर बहस पूरी हो गई थी और अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

यह रिट याचिका उनकी पत्नी हेमलता ने दाखिल की थी, उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि उचित चिकित्सा सुविधा न देकर एवं कैद में रख वरवरा राव के मौलिक अधिकारों की अवहेलना हो रही है.

गौरतलब है कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली.

पुलिस का दावा है कि इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों का माओवादियों से संबंध है.

Last Updated : Feb 22, 2021, 7:09 PM IST

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