धनबाद:बॉलीवुड के सुपर स्टार अक्षय कुमार ने पहली बार आईआईटी आईएसएम धनबाद के छात्रों, अधिकारियों और कर्मचारियों से बातचीत की. लंदन से चले इस इंटरैक्टिव सेशन के दौरान छात्रों के सवाल का भी अभिनेता ने बखूबी जवाब दिया. एक्टर ने आईआईटी आईएसएम आने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि यहां पहुंचकर वो संस्थान के संबंध में बहुत कुछ जानना चाहते हैं.
बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार आईआईटी आईएसएम धनबाद के छात्रों से हुए रूबरू, संस्थान आने की जताई इच्छा
अपनी अपकमिंग फिल्म मिशन रानीगंज को लेकर अभिनेता अक्षय कुमार ने आईआईटी आईएसएम धनबाद के छात्रों से ऑनलाइन बातचीत की. उन्होंने स्टूडेंट्स के सवाल का बखूबी जवाब भी दिया. बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार में संस्थान आने की इच्छा जताई है. Actor Akshay kumar interacted students of IIT ISM Dhanbad.
Published : Sep 30, 2023, 7:50 AM IST
|Updated : Sep 30, 2023, 8:28 AM IST
शुक्रवार को फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार आईआईटी आईएसएम धनबादा के पेनमैन ऑडिटोरियम में ऑनलाइन के माध्यम से बातचीत कर रहे थे. इस दौरान आईएसएम के निदेशक प्रोफेसर जेके पटनायक, उप निदेशक प्रोफेसर धीरज कुमार और प्रोफेसर रजनी सिंह डीन (मीडिया और ब्रांडिंग) के अलावा अन्य संकाय सदस्यों के साथ उपस्थित रहे. जहां निदेशक, उपनिदेशक, कर्मचारी और छात्रों ने उन्हें आने वाली फिल्म के लिए बधाई दी.
आईआईटी आईएसएम धनबाद के छात्र रहे जसवंत सिंह गिल की वीरतापूर्ण कार्य पर आधारित फिल्म मिशन रानीगंज में अक्षय कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई है. ये फिल्म 6 अक्टूबर को रिलीज होने जा रही है. बता दें कि माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने 1989 में पश्चिम बंगाल के कोयला खदान हादसे में अकेले ही 65 खननकर्मियों की जान बचाई थी. घटना के दो साल बाद 1991 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन द्वारा इस बहादुरी के लिए उन्हें सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया गया. इसके साथ कोल इंडिया ने भी उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया था.
जानिए हादसे में क्या हुआ था:रानीगंज में जसवंत सिंह गिल ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के महाबरी कोलियरी में पदस्थापित थे. कोयला उत्खनन के दौरान माइंस की एक दीवार ध्वस्त होने की वजह से पानी खदान में घुस गया. इसको देखते हुए उन्होंने कार्य योजना के तहत रेस्क्यू की तैयारी की. 2.5 मीटर की एक कैप्सूल को खदान के अंदर विशेष स्थान पर ड्रिल किया गया, जहां 65 मजदूर फंसे हुए थे. कैप्सूल के अंदर बैठकर जसवंत सिंह गिल खुद खदान के नीचे गए और एक-एक कर कैप्सूल के जरिए सभी 65 खननकर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाला. जिसके बाद उनको सब कैप्सूल गिल के नाम से लोग जानने लगे थे.