लातेहार: कागजों में भले ही स्वास्थ्य प्रबंधन को बेहतर होने के दावे सरकार और स्वास्थ विभाग करता हो, परंतु धरातल पर सच्चाई बिल्कुल विपरीत है. इसकी एक बानगी गुरुवार की रात लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड मुख्यालय में दिखी. यहां एक आदिवासी के शव को अस्पताल से घर ले जाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई. जिस कारण मृतक के परिजनों को ठेला पर शव घर ले जाना पड़ा (Body was forced to be carried on handcart).
मरीज की मौत के बाद नहीं मिला एंबुलेंस, ठेले पर शव ले जाने को मजबूर हुए परिजन
लातेहार में एक बार फिर से संवेदनाएं तार तार हुईं हैं. इसके साथ ही स्वास्थ विभाग पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं. यहां अस्पताल में मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की. जिसके बाद परिजनों को शव ठेले पर ले जाना पड़ा (Body was forced to be carried on handcart).
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बालूमाथ थाना क्षेत्र के बसिया पंचायत के टेमराबार गांव का निवासी चंदरु लोहरा की शराब पीने से तबीयत खराब हो गई थी. जिसके बाद परिजन उसे बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मौत के बाद चंदरु लोहरा के भतीजा टूलू लोहरा ने अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस की मांग की. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कराई. उन्होंने मृतक के परिजनों को कहा गया कि वे अपनी व्यवस्था से शव को घर ले जाएं.
वाहन के लिए नहीं थे पैसे, ठेले पर ले गए शव:मृतक के परिजनों ने बताया कि जब स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किसी भी प्रकार की मदद देने से इंकार कर दिया गया. गरीबी के कारण वे लोग खुद भी वाहन का इंतजाम नहीं कर पाए. ऐसे में मृतक के शव को ठेला के सहारे घर ले गए. मृतक के परिजनों का कहना है कि अस्पताल परिसर में एक एंबुलेंस खड़ी थी, इसके बावजूद उन्हें सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई.
नहीं मिली कोई मदद:इसी दौरान मुरपा मोड़ के पास बालूमाथ के पूर्व उप-प्रमुख संजीव सिन्हा ने मृतक के परिजनों को ठेला में शव ले जाता देखा और उन्हें रोक कर पूरी जानकारी ली. उसके बाद उन्होंने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को फोन कर एंबुलेंस नहीं देने की बाबत जानकारी मांगी. उसके बावजूद भी प्रबंधन द्वारा एंबुलेंस देने में कोई रुचि नहीं दिखाई गई.
व्यवस्था पर उठे सवाल:बालूमाथ में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण जिस प्रकार व्यवस्था को शर्मिंदगी उठानी पड़ी उससे पूरे सिस्टम पर सवाल उठ गया है. बताया जाता है कि जिले में पूर्व उपायुक्त के द्वारा यह स्पष्ट रूप से आदेश जारी किया गया था कि किसी भी मृतक के शव को उसके घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की होगी. अगर परिजन वाहन की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हो तो ऐसे परिवार के लोगों को मदद करना है. लेकिन वर्तमान में यह आदेश प्रभावी नहीं रहा. इसी कारण व्यवस्था को शर्मसार करने वाली घटना घटी. इतना नहीं बल्कि पूरी घटना में स्थानीय लोगों पर भी सवाल उठाए हैं. शव को ठेला पर ले जाते कई लोग देखें, लेकिन ना तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने और न ही समाजसेवियों ने ही मृतक के परिजनों को मदद की. इस मामले को लेकर पूर्व उप प्रमुख संजीव कुमार सिन्हा ने मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.