सूरत: वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में एक दृष्टिबाधित छात्र ने बिना राइटर के लैपटॉप से परीक्षा दी है, उनके इस काम को सराहा जा रहा है. विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में पढ़ने वाले मीत मोदी ने बिना राइटर की मदद से सेमेस्टर-4 की परीक्षा दी है. मीत मोदी ने टाइपिंग, वॉयस कमांड और स्क्रीन रीडर फीडबैक का इस्तेमाल करके उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. उनके इस प्रयास की प्राध्यापकों ने सराहना की है.
सामान्य स्थिति में दृष्टिहीन छात्रों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नई शिक्षा नीति के प्रावधानों और नई तकनीक की मदद से परीक्षा कराने का प्रयास किया गया है. विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में पढ़ने वाले मोदी ने बिना किसी राइटर की मदद के सेमेस्टर-4 की परीक्षा दी है. इस संबंध में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ किशोरसिंह चावड़ा ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना डिजिटल इंडिया और पावर मेंट टू टेक्नोलॉजी इसी संदर्भ में है. मीत मोदी एक होनहार छात्र हैं, उन्होंने विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा तकनीक के जरिए सेमेस्टर 4 में परीक्षा दी है, जो सराहनीय है.
कुलपति डॉ किशोरसिंह चावड़ा ने कहा कि सभी दृष्टिबाधित और अलग-अलग सक्षम छात्र बिना किसी की मदद के इस तरह आत्मनिर्भर बनते हैं. साथ ही वे सभी प्रकार की शिक्षा प्रणाली प्राप्त कर सकते हैं. विश्वविद्यालय के सभी संबद्ध कॉलेजों में पढ़ने वाले ऐसे छात्र राइटर की मदद लेने के बजाय प्रौद्योगिकी की मदद से आगामी परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं.
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इस संबंध में परीक्षा देने वाले मीत मोदी ने कहा कि इस परीक्षा का तरीका यह है कि इस परीक्षा में वॉयस टाइपिंग जैसी कोई चीज नहीं है. हम स्क्रीन रिकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं. यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर या लैपटॉप स्क्रीन पर जो भी टेक्स्ट है, उसे पढ़ने में हमारी मदद करता है, फिर हम इस टेक्स्ट को ऑडियो फीडबैक के माध्यम से सुन सकते हैं और इसके द्वारा हम पूरे कंप्यूटर को संचालित कर सकते हैं. तो आज की तकनीक के साथ परीक्षाओं में दिए जाने वाले पीडीएफ पेपर में प्रश्न होता है, जिसको सुनने के बाद उत्तर को एक वर्ड फाइल में टाइप करना होता है.
राइटर मिलने में होती थी परेशानी: मीत मोदी ने कहा कि हमारे और राइटर के एग्जाम एक ही समय होते थे. ऐसे में राइटर मिलना बहुत मुश्किल था. पहले में राइटर के माध्यम से परीक्षा दे रहा था. कभी-कभी ऐसी समस्याएं आती थीं जहाँ लेखक किसी कारणवश बुलाए जाने पर नहीं आ पाता था. उनके स्थान पर दूसरा राइटर मिलना बहुत कठिन होता था. कई बार तो ऐसा भी होता था कि हमारी और लेखक की परीक्षा एक ही समय होती थी. इसलिए उस समय राइटर को ढूंढना बहुत मुश्किल था और इस तरह की घटनाएं मेरे साथ भी कई बार हो चुकी हैं, इससे अच्छा तो यह है कि परीक्षा हम लोग ही दें, तो बेहतर होगा.
कोरोना ने लोगों को तकनीक के जरिए सारे काम करना सिखा दिया है. लोग तकनीक के विभिन्न माध्यमों से शिक्षा ग्रहण करने लगे हैं. मुझे भी इस पर काम करने की प्रेरणा मिली और मैंने इस काम की शुरुआत की. मैंने बीए की आखिरी परीक्षा कंप्यूटर तकनीक से दी थी और इस विश्वविद्यालय में पिछले चार सेमेस्टर में मैंने इसी माध्यम से परीक्षा दी है.