नई दिल्ली : देशभर में म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगल के मामलों में वृद्धि के साथ राज्यों को एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो इस दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए एक एंटिफंगल दवा है.कांग्रेस पार्टी मामले में केंद्र सरकार पर समय पर तैयारी नहीं करने का आरोप लगा रही है, तो वहीं उसने यह भी सुझाव दिया कि संकट के इस समय में इन दवाओं की कालाबाजारी या जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'यह अफसोस की बात है कि हर बार जब दवा, ऑक्सीजन या टीके की जरूरत होती है, तो कमी होती है और वह भी एक ऐसे देश में जिसे दुनिया की फार्मा प्रयोगशाला कहा जाता है.
उन्होंने कहा कि अब खबरें आ रही हैं कि ब्लैक फंगस के लिए एंटीफंगल दवाओं की आपूर्ति कम हो गई है, क्योंकि इन की भी कालाबाजारी या जमाखोरी हो रही है.
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र को जमाखोरों पर नकेल कसनी होगी. जो लोग हमारी लोगों की दुर्दशा से मुनाफाखोरी कर रहे हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को इन लोगों पर नकेल कसने का संकल्प तलाशने की जरूरत है.
हाल ही में ट्रेडर्स यूनियन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर लिपोसोमल साल्ट इंजेक्शन की कालाबाजारी और अनैतिक बिक्री की आशंका जताते हुए मांग की थी कि ऐसे इंजेक्शन की आपूर्ति केंद्र सरकार के नियंत्रण में की जाए और फिर राज्य सरकारों के माध्यम से इन इंजेक्शनों को सीधे अस्पतालों में पहुंचाए.
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने भी इस मामले पर बात की और सुझाव दिया कि पहले रेमेडिसविर इंजेक्शन का संकट था और अब ब्लैक फंगस के लिए एंटिफंगल इंजेक्शन के लिए भी यही हो रहा है.
इसके लिए सरकार को तत्काल तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. अगर इसे आयात करना है तो इसे आयात करना शुरू कर दें. हमारी घरेलू दवा कंपनियों में इस इंजेक्शन की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित करें.
उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें एक बीमारी से छुटकारा नहीं मिला है और दूसरी का आ गई. इसलिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को मिलकर काम करना चाहिए और अस्पतालों से सलाह मशविरा कर इस बीमारी से निपटने की तैयारी शुरू करनी चाहिए और अपनी जरूरत के मुताबिक ये दवाएं उपलब्ध कराना चाहिए.