नई दिल्ली :बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा को लेकर कोर्ट ने ममता सरकार और राज्य पुलिस को हर मामले पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. भाजपा इसे लेकर ममता सरकार से मोर्चा लेने की तैयारी कर रही है. ममता सरकार को घेरने में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ेगी. विधानसभा से लेकर न्यायपालिका और जनता के बीच लगातार मामलों को आक्रामक ढंग से उठती रहेगी.
चुनाव में भले ही बीजेपी की जीत नहीं हुई हो मगर एक दमदार विपक्ष की भूमिका में पार्टी अपनी मौजूदगी का एहसास कराती रहेगी. यह बात पार्टी के आलाकमान बार-बार राज्य के नेताओं को निर्देशित कर रहे हैं. सदन में शुक्रवार को इसका असर दिखा भी.
चुनावी हिंसा को लेकर चलाएगी बड़ा अभियान
भाजपा बंगाल में चुनावी हिंसा को लेकर ममता सरकार के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने की तैयारी कर रही है. इसका ब्लूप्रिंट तैयार कर बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी कोलकाता लौटे. वैसे तो ममता बनर्जी ने कई वैरायटी के मीठे रसीले आम प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को भेजकर केंद्र और राज्य के बीच आई कड़वाहट में मिठास लाने की पहल की लेकिन लगता नहीं कि आम की मिठास कड़वाहट में मिश्री घोल पाएगी.
विधानसभा में दिखा असर
चुनाव के बाद हुई हिंसा में एक खास समुदाय और बीजेपी के कार्यकर्ताओं को जिस तरह से निशाना बनाया गया उसके बाद कोर्ट ने भी सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं. इसे लेकर भाजपा अब आक्रामक तेवर अपनाएगी. चाहे वह विधानसभा का बजट सत्र हो या, फिर कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी और भेदभाव की घटनाएं, इन तमाम बातों को बीजेपी जोर-शोर से उठाएगी और लगातार विरोध प्रदर्शन का दौर भी जारी रखेगी.
इस रणनीति का असर बंगाल में शुक्रवार से शुरू हुए विधानसभा सत्र में देखने को मिला जहां, 'जय श्री राम' के नारों के साथ बीजेपी के तमाम नेताओं ने विधानसभा से वॉकआउट किया. सूत्रों की मानें तो भाजपा ने सभी नेताओं को विधानसभा के बजट सत्र में लगातार मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं ताकि मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जा सके.
भाजपा नेताओं ने साधा निशाना
कोर्ट के निर्णय पर जब 'ईटीवी भारत' ने केंद्रीय मंत्री देबाश्री चौधरी से बात की तो उन्होंने कोर्ट की टिप्पणी पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया लेकिन इतना जरूर कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ हो रहे अत्याचार को ममता सरकार भले ही न मान रही हो लेकिन अदालत ने जो कोलकाता पुलिस को निर्देश दिए हैं वो दूध का दूध पानी का पानी है. वहीं, आईटी सेल के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल में सह प्रभारी रहे अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि एनएचआरसी की रिपोर्ट में सामने आया है कि जिन पर हमले हुए उन्हें चिकित्सा सुविधा तक मुहैया नहीं कराई गई. राशन कार्ड और सुरक्षा का भी राजनीतिकरण किया गया.
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उन्होंने बंगाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रिपोर्ट में साफ तौर पर यह भी कहा गया है कि नाबालिग लड़कियों के साथ भी बदसलूकी और शोषण हुआ लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने इस पर एक शब्द भी टिप्पणी नहीं की.