मिशन 2024 के लिए भाजपा की बड़ी रणनीति, मोदी ने दिया 'तीन रीजन का मंत्र'
आने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने खास रणनीति तैयार की है. उसने तैयारियों को तीन जोन में बांटकर अपना मिशन पूरी करने की योजना बनाई है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा का जोर हर वर्ग के लिए योजनाएं बनाने, सभी पर ध्यान केंद्रित करने और अभी तक की सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने पर है.
मोदी नड्डा शाह
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Published : Jun 29, 2023, 4:45 PM IST
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Updated : Jun 29, 2023, 10:32 PM IST
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha elections 2024) और इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा अभी से अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए. राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर सरकार और पार्टी संगठनों के भीतर संभावित बदलावों के बारे में भी चर्चा हुई. अब संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी में बड़े बदलाव हो सकते हैं.
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के दौरान अपने मंत्रियों को विशिष्ट निर्देश दिए और अपने-अपने क्षेत्रों में समाज के गरीबों और पिछड़े वर्गों की जरूरतों को प्राथमिकता देने के महत्व पर जोर दिया.
वहीं, चुनाव के माइक्रो मैनेजमेंट के लिए भाजपा ने मेगा प्लान बनाया है. भाजपा ने पहली बार पार्टी के कामकाज को सरल बनाने के लिए 543 लोकसभा सीटों को तीन मुख्य क्षेत्रों - उत्तर, दक्षिण और पूर्व में विभाजित करने का निर्णय लिया है. 6,7 और 8 जुलाई को देश के अलग-अलग हिस्सों में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन मंत्री के साथ रीजन के प्रमुख नेताओं की बैठक होगी.
रीजनवार बैठक :6 को ईस्ट रीजन, 7 को नॉर्थ रीजन और 8 को साउथ रीजन की बैठक होगी. बैठक में रीजन में आने राज्य प्रभारी, राज्य के प्रदेश अध्यक्ष, संगठन मंत्री, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सांसद, विधायक और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मौजूद रहेंगे.
इस पर फोकस
इसे रीजन की कार्यकारिणी के तौर पर भी देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की ये बड़ी एक्सरसाइज मानी जा रही है.
6 जुलाई को ईस्ट रीजन की बैठक गुवाहाटी में होगी :बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा की होगी.
7 जुलाई को दिल्ली में होगी नॉर्थ रीजन की बैठक : ये बैठक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान, गुजरात, दमन दीव-दादर नगर हवेली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा की होगी.
8 जुलाई को हैदराबाद में होगी साउथ रीजन की बैठक : इसमें केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मुंबई, गोवा, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप शामिल होंगे.
जनहितकारी योजनाएं बनाने पर जोर :इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में समाज के पिछड़े और कमजोर वर्गों के प्रतिनिधियों के बीच छोटे पैमाने पर बैठकों और सेमिनारों के माध्यम से सीधा संवाद स्थापित करने की सिफारिश की. विशेष रूप से चुनावी वर्ष में मध्यम वर्ग, गरीबों, उत्पीड़ित और पिछड़े समुदायों के महत्व को पहचानते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी योजनाएं बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया जो सीधे उनकी चिंताओं और आकांक्षाओं को संबोधित करती हों.
कर्नाटक से सबक लेकर रणनीति बना रही भाजपा :कर्नाटक में हार ने भाजपा को इस साल के अंत में होने वाले राज्य चुनावों के अगले दौर के लिए अपने अभियान टेम्पलेट में बदलाव करने के लिए प्रेरित किया है. चार महत्वपूर्ण राज्यों - मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने जा रहे हैं. इनमें से सिर्फ मध्य प्रदेश में बीजेपी का शासन है. पार्टी राजस्थान में रिवॉल्विंग डोर ट्रेंड और दो अन्य में सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाकर अपने पक्ष में करने की उम्मीद कर रही है.
पिछले महीने, केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ संगठनात्मक सदस्यों ने नरेंद्र मोदी सरकार की नौवीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक महीने तक चलने वाला जन संपर्क अभ्यास आयोजित किया था, एक ऐसा कदम जिसे 2024 लोकसभा से पहले समर्थन जुटाने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के मेगा आउटरीच के रूप में भी देखा गया था.
विपक्ष हो रहा एकजुट :दूसरी ओर, सभी विपक्षी दल 2024 का चुनाव एक साथ लड़ने की योजना बना रहे हैं. पिछले हफ्ते एक बैठक में, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और 14 अन्य विपक्षी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक महागठबंधन का विचार रखा. लेकिन 'आप' ने यह घोषणा करते हुए अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है कि वह संयुक्त विपक्ष का हिस्सा नहीं बनेगी जब तक कि कांग्रेस सार्वजनिक रूप से दिल्ली में नौकरशाहों पर नियंत्रण हटाने वाले केंद्र के कार्यकारी आदेश का विरोध नहीं करती. भाजपा विपक्ष की इस खींचतान का भी फायदा उठाना चाहेगी.