नई दिल्ली : बिहार में लालू यादव, उनकी पत्नी और बेटी समेत 14 लोगों पर पुराने मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है. 14 मार्च को न्यायालय में उपस्थित होने का समन किया गया है.
पूर्व रेल मंत्री लालू यादव के खिलाफ उनके रेल मंत्री के कार्यकाल के मुकदमे को लेकर सीबीआई ने सोमवार को एकबार फिर से पूछताछ की जिसके बाद बिहार की राजनीति में एकबार फिर बवाल शुरू हो चुका है. सूत्रों की मानें तो केंद्र में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी भी नजर बनाए हुए है (BJPs eye on political developments in Bihar). सियासी उठापटक को लेकर अलग अलग बनने वाले हालात पर तैयारी शुरू हो चुकी है. हालांकि बीजेपी के ज्यादातर नेता बिहार सरकार और आरजेडी से सवाल तो कर रहे हैं, लेकिन ये हमला सिर्फ आरजेडी पर किया जा रहा, जबकि सवाल सीधे सीधे राज्य के मुख्यमंत्री से बनता है.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिस तरह पार्टी सिंबल को लेकर जेडीयू में भी मामला चल रहा क्या शिवसेना की कहानी बिहार में भी लिखी जा सकती है या एकबार फिर पुराने गठबंधन के 2 सहयोगी एक प्लेटफार्म पर दोबारा आने की तैयारी कर रहे हैं. फिलहाल इसपर बीजेपी के नेता भी पत्ते खोलने को राजी नहीं, लेकिन सूत्रों की मानें तो बीजेपी के संपर्क में जदयू के कई नेता भी हैं.
पांच घटनाओं से समझें :इस समीकरण से जुड़ी कुछ घटनाएं ऐसी हैं, जो बीजेपी और जेडीयू के निकट भविष्य में करीब आने के संकेत दे रही हैं. हाल की घटनाओं को यदि देखें तो इससे इन बातों को बल मिला है. सिलसिलेवार ढंग से देखा जाए तो पहला वाक्या तब का है जब पूर्व उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता तारकिशोर प्रसाद के पिता की मृत्यु हुई तो नीतीश कुमार, संजय झा और अन्य जेडीयू के नेताओं के साथ कार में गए थे.
दूसरा जब तमिलनाडु में प्रवासी बिहारी मजदूरों पर हमले की खबर सामने आई तो जहां तेजस्वी यादव ने इन खबरों को डाउनप्ले करने की कोशिश की उसी समय नीतीश कुमार से बिहार के नेताओं ने मुलाकात की, जिसके बाद नीतीश कुमार ने एक कमेटी बनाई जो कि तमिलनाडु जाकर बिहार के प्रवासी मजदूरों के हालात का जायजा ले रही है. खास बात ये है कि इस कमेटी में नीतीश कुमार ने बीजेपी के नेताओं को भी शामिल किया था.