नई दिल्ली :दिल्ली में केजरीवाल की सरकार की तरह झारखंड में सोरेन सरकार ने भी विश्वासमत जीत लिया, हालांकि दोनों ही राज्यों में जीत पक्की थी. खास बात ये रही कि इन दोनों सरकारों ने विपक्ष के बगैर मांगे ही विश्वासमत का प्रस्ताव पेश किया था. इसके साथ ही सोरेन ने जनता को यह संदेश देने की कोशिश की कि उनकी विश्वास प्राप्त सरकार को भाजपा गिराने की कोशिश न करे, क्योंकि उनकी सरकार को पूरा बहुमत प्राप्त है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि केजरीवाल और हेमंत सोरेन दोनों ने अपने भ्रष्टाचार के मामलों से ध्यान हटाने के लिए विश्वास मत का सहारा लिया है.
सूत्रों की मानें तो अलग-अलग राज्यों में गैर भाजपाई सरकारों द्वारा विश्वासमत का प्रस्ताव लाकर और उसे जीतकर, जनता में ये संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि केंद्र की भाजपा सरकार चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने की साजिश रच रहीं है ताकि जनता की सहानुभूति और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाया जा सके. हालांकि झारखंड में विश्वास प्रस्ताव का विरोध करते हुए भाजपा सदन से वॉकआउट कर गई.
बीजेपी भी तैयार :बीजेपी भी हल्लाबोल अभियान चलाकर इन दोनों ही राज्य सरकारों के भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर कर सवाल दर सवाल कर रही है लेकिन बीजेपी सूत्रों की मानें तो पार्टी इसे पर्याप्त ना मानते हुए कुछ पर्दाफाश अभियान जैसे कार्यक्रम चलाने की भी योजना बना रही है, जिसमें राज्य के नेताओं के साथ-साथ उस राज्य से जुड़े कुछ केंद्रीय नेताओं को भी विरोध प्रदर्शनों में शामिल कर राज्य की जनता को संदेश दिया जाएगा.