भाजपा की कार्यसमिति समिति की बैठक में शामिल हुए शिवराज सिंह चौहान भोपाल।मध्य प्रदेश बीजेपी में कर्नाटक के परिणाम के बाद बड़े नेताओं की नींद उड़ गई है. कर्नाटक की तर्ज पर यहां प्रदेश बीजेपी में अब खास फोकस उन नेताओं पर होगा, जिन्होंने पार्टी के लिए अपना सारा जीवन दे दिया और फिलहाल वह पार्टी की रीति नीति से खुश नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि वह खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं और उनको दरकिनार कर दिया गया है.
अबकी बार 200 पार, मिस्टर बंटाधार से आरपार सुधर जाओ नहीं तो कर्नाटक जैसे हाल होंगे - कैलाश विजयवर्गीय:मध्य प्रदेश में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक आने वाले 3 महीनों की प्रोग्रामिंग के लिए नहीं, बल्कि नेताओं को यह चेतावनी के लिए बुलाई गई कि सुधर जाइए नहीं तो कर्नाटक जैसे हाल मध्यप्रदेश में भी होना है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सबके सामने यह कह दिया कि "कर्नाटक में दरअसल हार अंतरकलह के चलते हुई है. पार्टी ने 37 सीटें वहां हारी हैं, जहां पर पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी थी. मायने साफ है कि मध्य प्रदेश में अगर इन स्थितियों को नहीं सुधारा गया, तो यहां बीजेपी का जाना तय है."
कैलाश ने खुलकर कहा, कार्यकर्ता और नेता अनदेखी से नाराज:विजयवर्गीय बोले कि "प्रदेश में बड़े पैमाने नाराजगी है, कार्यकर्ता और नेता नाराज हैं, उनका दर्द कोई नहीं पूछ रहा है. वे अपनी अनदेखी से नाराज हैं, उनकी पूछ-परख नहीं हो रही है. उनकी उपेक्षा चुनावी साल में भारी पड़ सकती है. कर्नाटक की 37 विधानसभा सीटें हम इसी नाराजगी की वजह से हारे, इन सीटों पर हार-जीत का मार्जिन बहुत कम रहा. प्रदेश में हमें इस नाराजगी को दूर करना पड़ेगा. "
मध्यप्रदेश बीजेपी भी बदलेगी चुनाव का एक्शन प्लान सिंधिया का गुट बनेगा बीजेपी के गले की हड्डी:बीजेपी ने सिंधिया की बदौलत फिर से सरकार बनाई. सिंधिया समर्थक 22 नेताओं का एक साथ पार्टी में आना, पहले जहां बीजेपी के लिए राहत की बात थी, लेकिन अब वही राहत बीजेपी की गले की हड्डी बन गई है. वादे के मुताबिक सिंधिया समर्थकों को वह सब दे दिया गया, जो उन्हें चाहिए था लेकिन अब 2023 में परिस्थितियां बदली हुई हैं, लेकिन ताजे घटनाक्रम में पार्टी के भीतर ही सिंधिया समर्थकों का खुलकर विरोध होने लगा है. विरोध की वजह साफ है कि वो नेता या कार्यकर्ता जो सालों से पार्टी का डंडा-झंडा उठा रहे थे और पार्टी के लिए काम कर रहे थे, सिंधिया समर्थकों के आने के बाद उनका पत्ता कट हो गया है.
बीजेपी दिग्गजों के भाषणों में कमलनाथ और दिग्गी रहते हैं केंद्र बिंदु:हालांकि प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सबसे ज्यादा डर बीजेपी को दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से ही लग रहा है और यही वजह है कि जितने भी दिग्गजों ने अपनी बात कही उसमें साफ था कि हर हालत में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को टारगेट करना है. ज्यादातर नेताओं के भाषण में पार्टी नहीं, बल्कि उनके केंद्र बिंदु में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ रहे.
- हमारे पास PM मोदी और अनमोल कार्यकर्ता हैं...उनके पास क्या है, CM शिवराज का कांग्रेस पर तंज
- चुनाव से पहले BJP के बागियों का वीडी शर्मा पर निशाना, अभी और कितने कतार में...
- बगावत से लेकर Congress का हाथ थामने तक दीपक जोशी के निशाने पर CM शिवराज ही क्यों?
अबकी बार 200 पार, मिस्टर बंटाधार से आरपार:इस बैठक में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि "उत्साह के साथ बैठक सम्पन्न हुई, बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने तय किया है कि अबकी बार 200 पार, मिस्टर बंटाधार से आरपार.कमलनाथ ने वल्लब भवन को वसूली का अड्डा बनाया था, पीएम मोदी के कार्यकाल के 9 साल पूरे हुए है इसलिए आगामी 30 मई से 30 जून तक झंडे के साथ महासम्पर्क अभियान चलाएगा. हर बूथ गांव गांव तक जाएंगे.
भाजपा की कार्यसमिति समिति की बड़ी बैठक मोदी के चेहरे से लगेगी चुनावी नैया पार: वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सब परिस्थितियों को जानते हुए भी कार्यकर्ताओं का मोरल बूस्टअप कर रहे हैं, परिस्थितियां उन्हें भी पता है. उनकी बॉडी लैंग्वेज से साफ झलक रहा है कि स्थितियां पार्टी के लिए इतनी अच्छी नहीं हैस इन सब स्थितियों को हटा कर मुख्यमंत्री शिवराज कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल अब बीजेपी को भी समझ आ रहा है कि प्रदेश में एक चेहरे पर जीतना मुश्किल है, इसलिए अब पार्टी मोदी के चेहरे के सहारे ही अपनी 2023 की नैया पार लगाने की जुगत में है. लिहाजा कार्यसमिति में पूरा फोकस इस बात पर रहा कि 30 मई से 30 जून तक पीएम मोदी के चेहरे को घर-घर तक ले जाना है और उनके चेहरे पर ही वोट मांगना है.