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नीतीश के कारण भाजपा की नई लीडरशिप तैयार करने की मुहिम पर लगा ब्रेक !

बिहार भाजपा संक्रमण के दौर से गुजर रही है. पार्टी दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे लाकर लीडरशिप विकसित करना चाहती है. भाजपा जिन चेहरों को आगे कर रही है, वे नीतीश कुमार की पसंद नहीं हैं. इसके चलते भाजपा की मुहिम पर ब्रेक लग गया है. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार भाजपा
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Published : Feb 2, 2021, 10:03 PM IST

पटना : बिहार भाजपा के लिए दूसरी पंक्ति के नेताओं को लेकर मंथन चल रहा है. सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं. पार्टी युवाओं की टीम बनाना चाहती है. लिहाजा दूसरी पंक्ति की लीडरशिप विकसित हो, इसके लिए जद्दोजहद जारी है. जातिगत समीकरण साधने के लिए भी पार्टी की ओर से कोशिश की जा रही है.

नीतीश को है भाजपा के दो नेताओं से परहेज
भाजपा जहां अंग प्रक्षेत्र के कुशवाहा जाति से आने वाले पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी को आगे लाना चाहती है. वहीं, मिथिलांचल के युवा और तेजतर्रार नेता व पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा को भी पार्टी संगठन के अलावा सरकार में भी जिम्मेदारी सौंपना चाहती है. भाजपा दोनों नेताओं को बिहार कैबिनेट में शामिल करना चाहती है, लेकिन मिल रही जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार को दोनों नेताओं से परहेज है.

देखें रिपोर्ट.

नीतीश के खिलाफ दिया था मांझी का साथ
दरअसल, जब जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत की थी, तब नीतीश मिश्रा और सम्राट चौधरी ने मांझी के साथ कंधे से कंधा मिलाया था. हालांकि, सरकार नहीं बच पाई थी और नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री बन गए थे. बाद में सम्राट चौधरी और नीतीश मिश्रा भाजपा में शामिल हो गए थे. पार्टी ने दोनों नेताओं को उपाध्यक्ष का पद दिया था.

नीतीश मिश्रा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट में ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं. सम्राट चौधरी को नीतीश कुमार ने नगर विकास मंत्री बनाया था. नीतीश ने दोनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी थी. सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री के जनता का दरबार कार्यक्रम को डिजाइन किया था. वह नीतीश के नजदीकी हुआ करते थे. नीतीश ने सम्राट चौधरी को आरजेडी से इस्तीफा दिलाकर जेडीयू में शामिल कराया था, फिर विधान परिषद भेज कर मंत्री बनाया था.

सीधे विरोध नहीं करते नीतीश
बिहार की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश कुमार का विरोध करने का अंदाज भी अलग है. वह किसी नाम को लेकर विरोध नहीं करते, लेकिन विरोध की स्थिति जरूर पैदा कर देते हैं. सम्राट चौधरी को लेकर जेडीयू नेताओं का तर्क है कि कुशवाहा जाति से विधायक सुधांशु शेखर को मंत्री बना रहे हैं तो भाजपा उस जाति के विधायक को क्यों मंत्री बना रही है.

दूसरी तरफ मिथिला क्षेत्र से आने वाले संजय झा को लेकर भी यह तर्क दिया जा रहा है कि संजय झा और नीतीश मिश्रा दोनों एक ही क्षेत्र से आते हैं और जेडीयू से संजय झा को मंत्री बनाया जा रहा है. ऐसे में उसी क्षेत्र से आने वाले नीतीश मिश्रा को भाजपा कैसे मंत्री बनाएगी.

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सम्राट चौधरी और नीतीश मिश्रा को मंत्र बनाए जाने पर नीतीश कुमार की आपत्ति पर राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार का कहना है कि नीतीश अपने मंत्रिमंडल में चहेतों को जगह देते हैं.

उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार पहले से ही अपने चहेते लोगों को मंत्रिमंडल में रखने के आदी रहे हैं. वह चाहते हैं कि उनके चहेते लोग चाहे वह भाजपा के क्यों न हों, उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिले. हालांकि भाजपा इस बार उनके दबाव में आने वाली नहीं है.'

वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार जल्द हो जाएगा. जेपी नड्डा के साथ नेताओं की मुलाकात हुई है. जल्द सूची को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. जहां तक भाजपा कोटे के मंत्रियों का सवाल है तो उस पर फैसला भाजपा करेगी. किसी दूसरे दल का हस्तक्षेप नहीं होगा.

जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. एनडीए के नेता शीघ्र ही तमाम मुद्दों को तय कर लेंगे.

जेडीयू और भाजपा के बीच चल रही रस्साकशी के चलते बिहार मंत्रिमंडल का विस्तार काफी समय से लटका हुआ है. अब देखने वाली बात होगी कि भाजपा अपने किन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करा पाती है और कम संख्या बल के बावजूद नीतीश अपनी बात कहां तक मनवा पाते हैं.

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