करूर: डीएमके नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने रविवार को सनातन धर्म के खिलाफ अपने पहले के विवादित बयान पर सार्वजनिक मंच पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने प्रतिक्रिया में दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने उनकी टिप्पणियों को 'मरोड़कर, बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और पूरे देश में इसके बारे में बात की.
द्रमुक की युवा शाखा के सचिव उदयनिधि ने रविवार को करूर जिले में पार्टी के युवा कैडर की बैठक में अपनी पिछली टिप्पणियों पर हुए हंगामे पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. सनातन धर्म पर अपनी टिप्पणी पर विवाद का जिक्र किया जिसमें उन्होंने सनातन धर्म को 'मच्छर, डेंगू, मलेरिया, बुखार और कोरोना' के बराबर बताते हुए कहा था कि इसे 'खत्म' करने की जरूरत है, न कि केवल विरोध करने की.
उन्होंने कहा कि मैंने (सनातन धर्म के अनुयायियों के) नरसंहार का आह्वान किया था. उन्होंने मुझ पर ऐसी बातें कहने का आरोप लगाया जो मैंने नहीं बोलीं. मैं (चेन्नई में) एक सम्मेलन में भाग ले रहा था और केवल तीन मिनट बोला. मैंने जो कुछ कहा वह यह था कि सभी के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए और उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.
भेदभाव के किसी भी प्रयास को समाप्त किया जाना चाहिए लेकिन उन्होंने (बीजेपी) मेरी टिप्पणी को तोड़-मरोड़कर पेश किया. इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और पूरे देश में मेरे बारे में बात करने पर मजबूर कर दिया. कुछ साधुओं ने मेरे सिर पर 5-10 करोड़ का इनाम घोषित कर दिया. मामला फिलहाल कोर्ट में है और मुझे कानून पर पूरा भरोसा है.
मुझसे अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगने को कहा गया लेकिन मैंने कहा कि मैं माफी नहीं मांग सकता. मैंने कहा कि मैं स्टालिन का बेटा, कलैग्नार का पोता हूं और मैं केवल उनके द्वारा समर्थित विचारधारा को व्यक्त कर रहा था. उदयनिधि ने चेन्नई में एक कार्यक्रम में कहा ,'सनातन मलेरिया और डेंगू की तरह है और इसलिए इसका विरोध करने के बजाय इसे खत्म किया जाना चाहिए.'